Delhi: सराय रोहिल्ला थाना इलाके में 20 जनवरी को हुई 12 वर्षीय बच्चे की मौत के केस में पीएम रिपोर्ट पुलिस को मिल गई है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि घुटने में गंभीर चोट लगने के बाद सेप्टिकेमिक शॉक से बच्चे की मौत हुई थी। चोट सीनियर छात्रों द्वारा स्कूल में पीटे जाने के कारण लगी थी। मेडिकल बोर्ड से बच्चे के शव का पोस्टमॉर्टम करवाया गया है। केस में पुलिस की जांच अभी जारी है।

पुलिस के अनुसार, शास्त्री नगर में रहने वाले बच्चे के पिता ने अपने बयान में कहा था कि 11 जनवरी को उनके बेटे ने स्कूल से लौटने के बाद सीनियर कक्षाओं के छात्रों द्वारा पीटे जाने की बात बताई थी। बेटे ने बाएं घुटने में चोट लगने की शिकायत की थी। वह उसे दीपचंद बंधु अस्पताल की इमरजेंसी में ले गए, जहां उसे कुछ दवाएं दी गई और आगे के इलाज के लिए ऑर्थो ओपीडी में रेफर कर दिया गया। ऑर्थो ओपीडी उस दिन बंद कर दी गई थी, क्योंकि उस समय तक लगभग 3:28 बज गए थे।

पिता ने लापरवाही का लगाया था आरोप

इसके बाद मरीज ने ऑर्थो ओपीडी में रिपोर्ट नहीं की थी। 15 जनवरी को बच्चे को रोहिणी के एक निजी क्लिनिक में ले जाया गया था, जहां कुछ अन्य दवाएं लिखी गई। 20 जनवरी को बच्चे की तबीयत अधिक बिगड़ने पर उसे फिर से दीपचंद बंधु अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। पिता ने चिकित्सकीय लापरवाही का भी आरोप लगाया था। इसके बाद मृत बच्चे का पोस्टमार्टम करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया। पीएम की वीडियोग्राफी करवाई गई और तस्वीरें खींची गई। पीएम रिपोर्ट के अनुसार, मौत भारी आघात के कारण बाएं घुटने में चोट के बाद सेप्टिकेमिक शॉक के कारण हुई थी। पिता के बयान पर थाना सराय रोहिल्ला में 304 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर जांच की जा रही है।

क्या है सेप्टिक शॉक

इस बीमारी में मरीज का ब्लड सर्कुलेशन बिगड़ जाता है, जिससे बॉडी में सूजन आ जाती है। ये बीमारी इतनी खतरनाक है कि इसका असर बॉडी के महत्वपूर्ण अंगों पर पड़ता है। इससे ब्लड क्लॉट बनने लगते हैं। मरीज का ब्लड प्रेशर खतरनाक स्तर तक गिरने लगता है। इसमें शरीर के अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स नहीं मिल पाते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, अगर इस बीमारी के लक्षणों को शीघ्र ही पहचान करके इलाज कर लिया जाए तो गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है। इस बीमारी की वजह से अंगों पर बेहद बुरा असर पड़ता है। अंग काम करना बंद कर सकते हैं। अंगों द्वारा काम करना बंद होने वाली स्टेज को सेप्टिक शॉक कहा जाता है, जिसकी वजह से मरीज की मौत तक हो सकती है।