Supreme Court On Shambhu Border: शंभू बॉर्डर को खोलने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार से सवाल किया कि कोई राज्य हाईवे को कैसे रोक सकता है? किसान भी देश के नागरिक हैं। उनकी समस्याओं का समाधान करना सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार का काम यातायात को नियंत्रित करने का न की रोकने का।
कोर्ट ने कहा कि हम कह रहे हैं कि शंभू बॉर्डर पर लगाए गए अवरोधक हटाओ और ट्रैफिक नियंत्रित करो। बता दें कि इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट सप्ताह भर में बॉर्डर खोलने का आदेश दिया था। लेकिन हरियाणा सरकार को डर है कि यदि बैरिकेड हटाकर रास्ता साफ कर दिया गया तो पंजाब के किसान फिर दिल्ली की तरफ कूच कर सकते हैं।
13 फरवरी से धरने पर बैठे हैं किसान
शंभू बॉर्डर पर किसान केंद्र सरकार से अपनी मांगों को लेकर इसी साल 13 फरवरी से धरने पर बैठे हैं। किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शन कर रहे 22 वर्षीय शुभकरण की मौत की न्यायिक जांच के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार की दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसान नागरिक हैं, उन्हें भोजन और अच्छी चिकित्सा सुविधा दें। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने यह निर्देश उस समय दिया जब हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि हम हाईकोर्ट के 10 जुलाई के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की प्रक्रिया में है।
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क्या है किसानों की मांग
बताते चलें कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली कूच करने का ऐलान किया था। इसके बाद हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैरिकेडिंग कर दी थी। हालांकि, किसानों को मनाने के लिए केंद्र सरकार ने कई राउंड की बातचीत की थी। लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला था। इसके बाद किसान शंभू बॉर्डर पर डेरा जमाए हुए हैं।