MCD Alderman Case: दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली नगर निगम (MCD) में एल्डरमैन की नियुक्ति के मामले में उपराज्यपाल वीके सक्सेना (LG) को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने कहा कि एलजी बिना किसी सलाह के एमसीडी में एल्डरमैन नियुक्त कर सकते हैं।

LG कर सकते हैं एल्डरमैन नियुक्त- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली कैबिनेट की सलाह के बिना एमसीडी में दस मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति को सही ठहराया है। एलजी द्वारा दिल्ली नगर निगम में 10 एल्डरमैन नियुक्त किए गए थे। इसको लेकर दिल्ली सरकार ने एतराज जताते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सरकार ने कहा कि एलजी दिल्ली सरकार की कैबिनेट की सलाह के बिना ही नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति कर रहे हैं।

यह फैसला न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा ने सुनाया, जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1993 में संशोधित दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) अधिनियम की धारा 3(3)(बी)(आई) एलजी को एल्डरमैन नियुक्त करने का अधिकार देती है।  इस मामले में कोर्ट ने पिछले साल 17 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिल्ली सरकार ने दिया ये तर्क

दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह तर्क दिया कि उपराज्यपाल बिना किसी सलाह मशविरा के मनमाने तरीके से एल्डमैन की नियुक्ति कर रहे हैं। वहीं, LG की ओर कोर्ट को बताया गया कि संविधान के अनुच्छेद 239 AA के तहत एलजी की शक्तियों और राष्ट्रीय राजधानी के प्रशासक के रूप में उनकी भूमिका के बीच अंतर है।

MCD में 250 निर्वाचित और 10 एल्डरमैन सदस्य

बता दें कि दिसंबर 2022 में हुए दिल्ली नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को हराया था। आप ने 134 और बीजेपी ने 104 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी। दिल्ली नगर निगम में 250 निर्वाचित और 10 नामित (एल्डरमैन) सदस्य हैं।

एल्डरमैन की नियुक्ति का मामला क्यों पहुंचा कोर्ट

दिल्ली नगर निगम चुनाव के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 22 फरवरी, 2023 को मेयर और उप मेयर का चुनाव हुआ था। इस दौरान कोर्ट ने साफ किया था कि एल्डरमैन सदन में मतदान नहीं कर सकेंगे। एलजी द्वारा नियुक्त किए गए एल्डरमैन बीजेपी से संबंध रखते हैं। ऐसे एल्डरमैन के जोन चुनाव में वोट करने से आम आदमी पार्टी सेंट्रल, सिविल लाइन और नरेला जोन में कमजोर पड़ रही है और बीजेपी मजबूत हो रही है। जोनल चुनाव यानी वार्ड समिति और जोन चेयरमैन के चुनाव पर दोनों पार्टियों के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला बहुत ही अहम है।