स्वाति मालीवाल ने खोली दिल्ली के शिक्षा मॉडल की पोल: बच्चों ने बताई आपबीती, लाखों छात्रों को कर दिया फेल

Swati Maliwal with Delhi Government Schools Student
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दिल्ली के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से मिलीं स्वाति मालीवाल।
Swati Maliwal: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले ही स्वाति मालीवाल ने अरविंद केजरीवाल के शिक्षा मॉडल की पोल खोल दी है। वे दिल्ली के शालीमार बाग में गईं, जहां उन्होंने बच्चों से बात की। बच्चों ने उन्हें सरकारी स्कूलों के बारे में जो बताया, उससे वो चौंक गईं। 

Swati Maliwal: दिल्ली में 5 फरवरी को वोटिंग होने वाली है। आम आदमी पार्टी अपने पुराने वादों के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य मॉडल पर चुनाव लड़ रही है। हालांकि, स्वाति मालीवाल ने केजरीवाल के शिक्षा मॉडल की पोल खोलकर रख दी। वो दिल्ली के शालीमार बाग के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चों से मिलीं, जिन्होंने स्कूलों के हालातों के बारे में बताया, जो बेहद चौंकाने वाला और दुखद है।

शालीमार के सरकारी स्कूल के बच्चों ने बताई आपबीती

स्वाति मालीवाल ने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर की, जिसमें उन्होंने बच्चों द्वारा बताई गई बातों को पॉइंटर्स में लिखा। उन्होंने लिखा कि वे कल दिल्ली के शालीमार बाग के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों से मिलीं। बच्चों ने जो बातें बताईं, वे चौंकाने वाली थीं। बच्चों ने बताया कि कुछ टीचर उन्हें बदबूदार बोलकर दूर रहने को कहती हैं। गरीब बच्चों को छोटा महसूस कराया जाता है। स्कूल में बच्चों के साथ मारपीट की जाती है। बच्चों का मनोबल तोड़ने के लिए घटिया बातें कही जाती हैं। लड़कियों से पढ़ाई छोड़कर खाना बनाने और शादी करने को कहा जाता है। स्कूल में अध्यापकों की कमी है और कई स्कूलों में प्रिंसिपल भी नहीं हैं। कभी पढ़ाई होती है, तो कभी नहीं होती।

एक लाख से ज्यादा बच्चों को कर दिया गया फेल

9वीं कक्षा में एक लाख से ज्यादा बच्चों को फेल कर दिया गया और उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया। वे बच्चे अब ओपेन से पढ़ाई कर रहे हैं और बहुत से बच्चों की पढ़ाई छूट गई। ओपेन से पढ़ाई करने पर उन्हें हिंदी, संस्कृत, पेंटिंग और गृह विज्ञान के ऑप्शन दिए जाते हैं। वहीं एक पोडकास्ट के दौरान अरविंद केजरीवाल से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। वीडियो में बातचीत करते हुए झुग्गियों में पढ़ाने वाली एक अध्यापिका ने बताया कि लड़कों के सरकारी स्कूलों का तो और भी खराब हालत है। वहीं बच्चों का कहना है कि सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाली अध्यापिकाएं उनसे छूआछूत मनाती हैं और उन्हें दूर भगा देती हैं।

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