Guru Teg Bahadur Memorial: दिल्ली सरकार के दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) के अंतर्गत आने वाले श्री गुरु तेग बहादुर स्मारक परिसर में इन दिनों घोर अंधेरा छाया रहता है। वही बता दें कि  कांग्रेस की शीला सरकार के समय दिल्ली देहात और राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 (पंजाब से दिल्ली) के सिंघु बॉर्डर स्थित इस स्मारक में विदेशी मशीनों के माध्यम से लेजर शो का आयोजन होता था और इसके तहत तीन भाषाओं (हिंदी, पंजाबी और अंग्रेजी) में श्री गुरु तेग बहादुर के जीवन पर विभिन्न लेजर लाइट्स के माध्यम से आलोकित किया जाता था।

लेकिन दिल्ली में कांग्रेस की शीला सरकार बदलने के बाद यहां के हालात भी बहुत बदल चुके हैं। अब यह स्मारक अंतिम सांसे गिन रहा है। वही बताया जा रहा है कि यदि दिल्ली में कांग्रेस सरकार होती तो इसका काफी उत्थान हो सकता था, क्योंकि यह शीला दीक्षित सरकार महत्वाकांक्षी (ड्रीम) परियोजना थी और तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित खुद ही इस परियोजना पर ध्यान रखती थीं।

बता दें कि एक बार रात के समय औचक निरीक्षण के दौरान सीएम शीला दीक्षित यहां परिसर में सीढ़ियों पर चढ़ते समय गिर भी गई थीं। अब यहां इस परियोजना पर ध्यान नहीं होने से दिल्ली सरकार को एक बड़ी राशि के रूप में राजस्व का तो नुकसान हो ही रहा है, इसके साथ ही यहां रोजगार के अवसर भी बंद या कम हो गए हैं। विभागीय प्रशासन की मनमानी कार्यशैली के चलते स्मारक जगह जगह से बदहाल है।

कुल मिलाकर कहा जाए तो इन दिनों यह स्मारक अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है और समय रहते यदि दिल्ली सरकार या पर्यटन विभाग के आला अधिकारियों ने इस परियोजना पर ध्यान नहीं दिया, तो जल्द ही इस पर ताले भी जड़ने पड़ने तक की नौबत भी आ सकती है। इस संबंध में दिल्ली सरकार के पर्यटन विभाग के कई आला अधिकारियों से संपर्क किया गया। लेकिन सभी इसकी बदहाली पर अपनी प्रतिक्रिया देने से बचते हुए और कुछ अपना पल्ला झाड़ते हुए नजर आए।

सिखों ने पूरे देश को गौरवान्वित किया - राहुल गांधी

वर्ष 2011 में जब कांग्रेस महासचिव और सांसद राहुल गांधी ने स्मारक को राष्ट्र को समर्पित किया तो बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग एकत्र हुए। सिखों की जमकर तारीफ करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि सिखों ने पूरे देश को गौरवान्वित किया है। आप सिख समुदाय के लोग, पूरे देश को आप पर गर्व है। आप लोगों ने भारत का प्रचार-प्रसार किया है, चाहे कनाडा हो, इंग्लैंड हो या अमेरिका हो। आप लोग जहां भी जाएं राष्ट्रीय ध्वज फहराते रहें। दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) द्वारा सिंघु बॉर्डर के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 1 (जीटी करनाल रोड) के किनारे निर्मित, यह स्मारक अपनी वास्तुकला, डिजाइन और विश्व स्तरीय रोशनी के लिए जाना जाएगा।

सीएम शीला दीक्षित ने यह कहा था

तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि इस स्मारक की एक अनूठी अवधारणा है। केंद्रीय तोरण श्री गुरु तेग बहादुर का प्रतिनिधित्व करता है जबकि तीन अर्ध-मेहराब उनके तीन शिष्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके चारों ओर दस मोनोलिथ 10 सिख गुरुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी शिक्षाओं का प्रसार करते हैं। दिल्ली में अब एक नया पर्यटन स्थल बन गया है जो धार्मिक महत्व भी रखता है। वास्तुकला का एक चमत्कार, श्री गुरु तेग बहादुर स्मारक सिखों के नौवें गुरु के जीवन और शिक्षाओं के बारे में जानकारी देता है।

परियोजना पर खर्च हुए करीब 40 करोड़

डीटीटीडीसी के अधिकारियों ने कहा कि 24 मीटर लंबा केंद्रीय तोरण, जो स्टील फैब्रिकेशन में है, इसके तीन 15 मीटर लंबे अर्ध-मेहराब और 11 से 18 मीटर लंबे 10 मोनोलिथ और अद्वितीय प्रकाश व्यवस्था के साथ, करीब तीन किलोमीटर दूर से भी दिखाई देगा। मोनोलिथ पर सिख धर्म के मौलिक सिद्धांतों को चार भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी और उर्दू में अनुवादित किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष उद्घाटन के अवसर पर 11.87 एकड़ क्षेत्र में निर्मित इस परियोजना पर 25.75 करोड़ रुपये की लागत आई थी। जो बाद में अन्य विकास कार्यों के चलते कुल 40 करोड़ तक पहुंची।

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