दिल्ली में वायरल फीवर के बढ़ रहे मामले: सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी, परेशान हो रहे मरीज

Viral Fever in Delhi: इन दिनों राजधानी और आसपास के इलाकों में मौसम परिवर्तन का असर देखने को मिल रहा है। इसके कारण बहुत से लोगों में वायरल बुखार, खांसी, गले में दर्द, कफ के साथ खून आना जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। हालांकि बीमारी की समस्या होने के साथ ही सबसे बड़ी समस्या ये है कि इस बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। मरीजों को खांसी की सिरप और महंगी दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं।
दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल
बता दें कि पिछली सरकार के समय से ही दवाइयों की कमियों को लेकर लोगों में गुस्सा है। अस्पताल जाने वाले मरीजों का कहना है कि अस्पताल वायरल फीवर की कुछ दवाइयां तो मिल जाती हैं, लेकिन खांसी के लिए कफ सिरप और कुछ दवाएं बाहर से लेनी पड़ती हैं। दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल लोकनायक अस्पताल के मरीजों का कहना है कि अस्पताल में कफ सिरप नहीं दी जा रही हैं। ऐसे ही कुछ हालात दिल्ली सचिवालय की डिस्पेंसरी और अन्य सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में भी देखने को मिल रही हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने किया राव तुला राम अस्पताल का दौरा
बीते दिन स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह ने पश्चिमी दिल्ली के राव तुला राम अस्पताल का दौरा किया। उन्होंने अस्पतालों के हालातों को लेकर कहा कि दिल्ली के अस्पतालों की हालत बहुत खराब है। जहां डॉक्टरों और दवाइयों की भी कमी सामने आई। इसको लेकर डॉ. सिंह ने कहा कि वो तीन महीनों में अस्पताल के हालात बदल देंगे।
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38 अस्पतालों में कमियां
आपको जानकार हैरानी होगी कि दिल्ली सरकार के 38 अस्पतालों में कुछ अस्पताल सुपर स्पेशलिटी सुविधाओं से लैस हैं और बाकी अस्पतालों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं दी जाती हैं। हालांकि इन अस्पतालों में स्टाफ की भारी कमी है। इसके अलावा जांच मशीनें खराब हैं और समय पर दवाइयों का स्टॉक न मिल पाना भी एक बड़ी समस्या है। इन कारणों से मजबूर होकर मरीज निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं या बाहर से दवाइयां खरीद रहे हैं।
कैंसर के मरीज भी हो रहे परेशान
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले स्वाति मालीवाल और राहुल गांधी समेत कई नेता अन्य बड़े अस्पतालों में भी गए थे। इन जगहों पर कैंसर के मरीज सर्दी में बाहर सोते नजर आए। लोगों ने बताया कि उन्हें इलाज के लिए ऐसे ही रातों में बाहर रहना पड़ता है। उन्हें अस्पतालों में दवाइयों की कमी झेलनी पड़ रही है। सस्ती दवाइयां तो मिल जाती हैं लेकिन महंगी दवाइयां बाहर से लेनी पड़ती हैं।
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