आंतरिक कलह से जूझ रही AAP: नेता प्रतिपक्ष को लेकर छिड़ा विवाद, सचदेवा का दावा- आतिशी को पसंद नहीं कर रहे MLA

Atishi
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बीजेपी नेता वीरेंद्र सचदेवा और दिल्ली की पूर्व सीएम आतिशी।
Delhi AAP Politics: दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भी आम आदमी पार्टी में आंतरिक कलह थम नहीं रही है। आप के जीते हुए विधायक आतिशी को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर स्वीकार नहीं कर रहे हैं, यह दावा खुद बीजेपी नेता वीरेंद्र सचदेवा ने किया है।

Delhi AAP Politics: आम आदमी पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार मिली है, लेकिन फिर भी आंतरिक कलह खत्म नहीं हुई है। बीजेपी की ओर से पहले भी आप में आंतरिक कलह का दावा किया जा रहा था, अब एक बार फिर दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली की पूर्व सीएम आतिशी को लेकर बड़ा दावा कर दिया है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी में नेता प्रतिपक्ष को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। आप के विधायक पूर्व सीएम आतिशी को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।

आतिशी के पास संघर्ष की शक्ति नहीं- सचदेवा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सचदेवा ने कहा कि आप के भीतर कलह का असर आप के नेतृत्व पर साफ दिखाई दे रहा है। इसी कारण से आतिशी ना ही तो दिल्ली की सीएम बनने की दौड़ में टिक पाई और अब ना ही नेता प्रतिपक्ष बनने की दौड़ में है। उन्होंने कहा कि आतिशी मार्लेना जानती हैं कि वह पुनः विधायक ज़रूर चुनी गई हैं, पर उनके पास कोई राजनीतिक जमीन नहीं है और ना ही वह संघर्ष शक्ति है, जो विपक्ष के नेता में होनी चाहिए।

ये नेता नहीं चाहते हैं आतिशी बने नेता प्रतिपक्ष

सचदेवा ने कहा कि आतिशी मार्लेना जवाब दें कि क्या यह सच नहीं है की 3-5 बार विधायक चुने गये मतीन अहमद, गोपाल राय, संजीव झा, कुलदीप कुमार, जरनैल सिंह की तो छोड़िए आले मोहम्मद, पुनरदीप सिंह साहनी जैसे परिवार की राजनीति से निकले विधायक हों, कोई भी सुश्री आतिशी मार्लेना को नेता प्रतिपक्ष के रूप में स्वीकारने को तैयार नहीं है।

'कार्यवाहक मुख्यमंत्री पद की गरिमा नहीं समझीं आतिशी'

सचदेवा ने यह भी आरोप लगाया कि कार्यवाहक मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए भी अनेक बार अपने पद की गरिमा को तार-तार किया और आज जब कार्यवाहक मुख्यमंत्री हैं, तब भी अपने पद की गरिमा का ध्यान रखे बिना गलत बयानबाज़ी कर रही हैं। आतिशी बताएं कि आज उन्हें मुख्यमंत्री नियुक्ति की चिंता हो रही है, पर उन 5 माह वह चिंता कहां थी, जब केजरीवाल जेल में थे और पद लावारिस था।

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