World Toilet Day: आज पूरी दुनिया टॉयलेट डे धूमधाम से मना रही है। इसका उद्देश्य खुले में शौच की आदत पर विराम लगाना और घर में शौचालय बनाने के लिए लोगों को प्रेरित करना है। दिल्ली में भी जगह-जगह लोगों को टॉयलेट इस्तेमाल करने के तरीके समझाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी तरह-तरह की मीम्स बनाकर मनोरंजक तरीके से लोगों को शौचालय के ठीक इस्तेमाल के प्रति जागरूक किया जा रहा है। अगर आप भी अपने बच्चों को टॉयलेट की अहमियत समझाना चाहते हैं, तो आपको दिल्ली के टॉयलेट म्यूजियम की अवश्य सैर करनी चाहिए। इस म्यूजियम में क्या खासियत है, चलिये पहले उस पर ही बात करते हैं...
दिल्ली के टॉयलेट म्यूजियम की खासियत
इस म्यूजियम का पूरा नाम सुलभ इंटरनेशनल म्यूजियम ऑफ टॉयलेट्स है। इस संग्रहालय की स्थापना सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक ने 1992 में की थी। इसका उद्देश्य लोगों को प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक शौचालय से जुड़े तथ्यों से अवगत कराना है। ऐसे में इस म्यूजियम को तीन भागों में बांटा गया है। पहले भाग में आप देख सकते हैं कि प्राचीन सभ्यताओं में किस तरह के टॉयलेट इस्तेमाल किए जाते थे और किस तरह से स्वच्छ शौचालय के लिए अभियान चलाए जाते थे।
दूसरे भाग में आप राजघरानों की शौचालय आदतों से भी वाकिफ हो सकते हैं। यहां आप सोने-चांदी से बना टॉयलेट भी देख सकते हैं, जो कि रोमन एंपरर्स करते थे। इसके अलावा, रानी एलिजाबेथ के लिए तैयार किए गए फ्लश पॉट का रिकॉर्ड भी देख सकते हैं।
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तीसरे भाग में आधुनिक टॉयलेट से जुड़े तथ्य और ब्यौरा देख सकते हैं। यहां अलग-अलग देशों में इस्तेमाल होने वाले पब्लिक टॉयलेट और प्राइवेट टॉयलेट देख सकते हैं। खास बात है कि यहां पेटिंग, पोस्टर और जॉक्स का इस्तेमाल करके लोगों को शौचालय के इतिहास से रूबरू कराया जा रहा है। ऐसे में इस संग्रहालय की विजिट बच्चों को भी बेहद पसंद आएगी।
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दिल्ली के टॉयलेट म्यूजियम कैसे पहुंचे
सुलभ इंटरनेशनल म्यूजियम ऑफ टॉयलेट्स दिल्ली के डाबरी-पालम रोड पर स्थित महावीर एंक्लेव बिल्डिंग में बना है। यह म्यूजियम सुबह 10:30 बजे खुलता है और शाम 5:00 बजे के बाद बंद हो जाता है। अगर आप मेट्रो से टॉयलेट म्यूजियम पहुंचना चाहते हैं, तो आपको दशरथपुरी मेट्रो स्टेशन पर उतरना होगा। यहां से आप ऑटो रिक्शा लेकर म्यूजियम तक पहुंच सकते हैं। अगर एंट्री की बात करें तो इस म्यूजियम में प्रवेश फ्री है।