पेंडिंग चालान वाले ध्यान दें: दिल्ली में 8 मार्च को लगेगी लोक अदालत, इन मामलों को नहीं सुना जाएगा

Lok Adalat 2025: 8 मार्च 2025 को दिल्ली की अदालतों में लोक अलादत का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान लंबित पड़े चालानों का निपटारा कराया जा सकता है। हालांकि कई तरह के मामलों में लोक अदालत में फैसला नहीं करेगा।;

Update: 2025-03-05 11:00 GMT
Lok Adalat 2025 in Delhi
दिल्ली में लोक अदालत।
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Lok Adalat 2025: दिल्ली में इस साल की पहली लोक अदालत 8 मार्च 2025 को लगने वाली है। पुराने पेंडिंग ट्रैफिक चालान को माफ कराने के लिए या फिर उसका जुर्माना कम कराने के लिए लोक अदालत का रुख किया जा सकता है। हालांकि इस लोक अदालत में हर तरह के चालानों की सुनवाई नहीं होगी, इसके लिए आपको कोर्ट का रुख करना होगा। 

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की तरफ से इस बात की जानकारी देते हुए बताया गया कि 08 मार्च, 2025 को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक राष्ट्रीय लोक अदालत चलेगी। यहां पर लंबित चालानों का भुगतान किया जा सकता है। इस दौरान 30 नवंबर 2024 तक के लंबित पड़े चालानों का निपटारा कराया जा सकता है।

इन जगहों पर लगेगी लोक अदालत

8 मार्च 2025, शनिवार को राउज एवेन्यू, द्वारका, कड़कड़डूमा, पटियाला हाउस, साकेत, रोहिणी और तीस हजारी कोर्ट में लोक अदालत लगाई जाएगी।   

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किन चालानों को लोक अदालत में किया जाता है माफ

बता दें कि लोक अदालत में ट्रैफिक चालानों के मामूली मामलों का निपटारा किया जाता है। उदाहरण के लिए- ट्रैफिक लाइट जंप करना, हेलमेट न पहनना, सीट बेल्ट न लगाना आदि। वहीं अगर आपकी गाड़ी से कोई एक्सिडेंट हुआ है या किसी क्रिमिनल केस में फंसी हुई है, तो उन मामलों के लिए आपको कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। वहीं ध्यान रखें कि दिल्ली की लोक अदालत में केवल दिल्ली में कटे चालानों को ही माफ किया या कम किया जाता है। अगर आप दिल्ली में लगी लोक अदालत में चालान माफ नहीं करा पाते हैं, तो आप वर्चुअल कोर्ट के जरिए भी अपने चालान का निपटारा करा सकते हैं।  

क्या है लोक अदालत

लोक अदालत एक ऐसी अदालत है, जहां पर ट्रैफिक चालान से जुड़े मामलों की सुनवाई कर चालान माफ या कम किए जाते हैं। इसके अलावा भी कई तरह के विवादों को लोक अदालत में समझौते के माध्यम से सुलझाया जाता है, जैसे- परिवारिक विवाद जिनमें कोर्ट का हस्तक्षेप नहीं हो सकता। जानकारी के अनुसार, कई आपराधिक मामले भी लोक अदालत में सुलझाए जाते हैं। वहीं लोक अदालत के फैसले के खिलाफ किसी भी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती। 

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