Atishi and N Biren Singh: दिल्ली-मणिपुर में CM पद से इस्तीफा के बाद कौन चला रहा सरकार? जानें कार्यवाहक मुख्यमंत्री की भूमिका

Delhi CM Atishi and Manipur CM N Biren Singh
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इस्तीफा के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह।
दिल्ली में इस्तीफा देने के बाद भी आतिशी और मणिपुर में बीरेन सिंह को कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि इन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री क्यों बनाया गया है साथ ही इनके पास कितनी शक्ति होती है? आइए जानते हैं...

Delhi CM Atishi and Manipur CM N Biren Singh News: दिल्ली और मणिपुर में हाल ही में मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति होने तक सरकार की जिम्मेदारी कार्यवाहक मुख्यमंत्रियों को सौंपी गई है। दिल्ली में आतिशी और मणिपुर में बीरेन सिंह को कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पास कितनी शक्ति होती है? क्या वे भी स्थायी मुख्यमंत्री की तरह फैसले ले सकते हैं? आइए जानते हैं कार्यवाहक मुख्यमंत्री की भूमिका और उनकी सीमाएं।

कार्यवाहक मुख्यमंत्री की जरूरत क्यों पड़ती है?

जब किसी राज्य के मुख्यमंत्री का कार्यकाल समाप्त हो जाता है, वे इस्तीफा दे देते हैं, या बहुमत खो देते हैं, तो सरकार के सुचारू संचालन के लिए कार्यवाहक मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है। यह नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है, ताकि प्रशासनिक कामकाज में किसी प्रकार की बाधा न आए। कार्यवाहक मुख्यमंत्री का मुख्य उद्देश्य राज्य की स्थिरता बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना होता है, कि आम जनता को किसी प्रकार की प्रशासनिक असुविधा न हो।

कार्यवाहक मुख्यमंत्री के अधिकार और सीमाएं

कार्यवाहक मुख्यमंत्री की शक्तियां स्थायी मुख्यमंत्री की तुलना में सीमित होती हैं। वे नई नीतियां लागू करने या बड़े प्रशासनिक निर्णय लेने के अधिकार नहीं रखते और केवल पहले से चल रही योजनाओं और सरकारी कार्यों को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं। नए कानून बनाने या अहम नीतिगत बदलाव करने की अनुमति नहीं होती, जिससे सरकार में स्थायित्व बना रहे लेकिन कोई बड़ा परिवर्तन न हो। हालांकि, अगर राज्य में आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होती है, तो कार्यवाहक मुख्यमंत्री को तत्काल जरूरी फैसले लेने की सीमित शक्ति दी जाती है, ताकि प्रशासनिक कार्य बाधित न हों और जनता को असुविधा न हो।

कार्यवाहक मुख्यमंत्री की भूमिका कब समाप्त होती है?

  1. नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण तक कार्यकाल: जैसे ही नए मुख्यमंत्री का चयन होता है और वे शपथ ग्रहण करते हैं, कार्यवाहक मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है।
  2. राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति में राष्ट्रपति शासन: अगर नए मुख्यमंत्री के चयन में देरी होती है और राजनीतिक अस्थिरता बनी रहती है, तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है, जहां राज्यपाल को प्रशासनिक अधिकार मिल जाते हैं।

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दिल्ली और मणिपुर में मौजूदा स्थिति

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार के बाद आतिशी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति होने तक उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाया गया है। वहीं, मणिपुर में बीरेन सिंह ने भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, लेकिन राज्यपाल ने उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में जिम्मेदारी दी है, जब तक कि नए मुख्यमंत्री का चयन नहीं हो जाता। इस तरह कार्यवाहक मुख्यमंत्री की भूमिका भले ही अस्थायी होती है, लेकिन यह सरकार के सुचारू संचालन के लिए बेहद खास होती है। इससे सत्ता का शांति और व्यवस्थित तरीके से सौंपा जाता है।

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