Delhi Jal Board: दिल्ली आज भी दूषित पेयजल सप्लाई से परेशान, चुनावों के बीच AI ने दिया चौंकाने वाला जवाब, जानिये कौन जिम्मेदार

दिल्ली में रहने वाले लोग अकेले वायु प्रदूषण से परेशान नहीं हैं, राजधानी के लोगों को पेयजल किल्लत या दूषित पेयजल सप्लाई की वजह से भी परेशान उठानी पड़ती है। खास बात है कि इस चुनावी मौसम में भी राजनीतिक दल इन मुद्दों पर बात करने की बजाए जनता को मुफ्त की बांटने वाली रेवड़ियों के बारे में बता रहे हैं। कोई बोल रहा है कि अगर हमारी सत्ता आ गई तो दिल्ली भ्रष्टाचार मुक्त हो जाएगी, वहीं दूसरा दल सीना ठोंककर बोल रहा है कि बेरोजगारी नाम की चीज दिल्ली में नहीं रह पाएगी। इन सबसे इतर जनता समझ नहीं पा रही कि अपनी व्यथा किसे सुनाए ताकि दिल्ली और दिल्ली में रहने वाले लोग खुशहाल हो जाएं।
एक राष्ट्रीय समाचार पत्र ने इसे लेकर ऑनलाइन सर्वे भी किया। सर्वे में सवाल पूछा गया कि क्या दूषित पेयजल सप्लाई और पेयजल किल्लत चुनावी मुद्दा है या नहीं। इस पर 91 फीसद लोगों ने माना कि यह चुनावी मुद्दा है। दूसरा सवाल पूछा गया कि क्या दिल्ली में पेयजल किल्लत और दूषित पेयजल आपूर्ति रोकने के लिए प्रभावी उपाय हैं या नहीं, इस पर 97 फीसद लोगों ने माना कि दिल्ली में ऐसे उपाय नहीं किए गए, जिससे पेयजल किल्लत या गंदे पानी की सप्लाई पर रोक लग जाती। इस सर्वे के बाद AI से भी यह सवाल पूछा गया तो वहां से भी चौंकाने वाला जवाब आया।
दिल्ली जल बोर्ड गंदा पानी क्यों दे रहा
हमने एआई से पूछा कि दिल्ली जल बोर्ड गंदा पानी क्यों दे रहा है। इस पर जवाब मिला कि दिल्ली जल बोर्ड को गंदा पानी देने की कई वजह हो सकती हैं। पुरानी पाइप लाइन के कारण पानी दूषित हो सकता है। नाले का पानी लीकेज के जरिये पेयजल लाइन में एंट्री कर सकता है, जिसकी वजह से दूषित पानी घरों तक पहुंच सकता है। इसके बाद तीसरा कारण यह बताया कि यमुना नदी प्रदूषित है और दिल्ली के लोग यमुना के पानी पर ही आश्रित हैं। इसके अलावा एआई ने दिल्ली जल बोर्ड की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया। बताया कि गर्मियों के दिनों में सबसे ज्यादा पेयजल किल्लत होती है। पानी के भंडारण के लिए कोई इंतजाम नहीं किए जाते। जब सवाल पूछा गया कि दिल्ली में पेयजल किल्लत और दूषित पेयजल समस्या का अंत कब तक होगा, इस पर कोई भी जवाब नहीं मिला।
गर्मियां आते ही पानी के टैकरों का सहारा
एक रिपोर्ट के मुताबिक, गर्मी का सीजन पीक पर जाता है, तो कई इलाकों में पेयजल किल्लत की समस्या गहरा जाती है। इस रिपोर्ट की मानें तो संगम विहार, देवली, तुगलकाबाद, ओखला फेज टू, मैदानगढ़ी, वसंतकुंज स्थित रंगपुरी पहाड़ी और किराड़ी के कई इलाकों में भी पानी के लिए लोग पूरी तरह से टैंकर पर आश्रित हो जाते हैं। इसके अलावा भी कई स्थान हैं, जहां लोगों को पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर होना पड़ता है। ऐसे में राजनीतिक दलों को इन मुद्दों पर भी गंभीरता से सोचना होगा।
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