Farishtey Scheme: फरिश्ते योजना को लेकर सौरभ भारद्वाज और एलजी कार्यालय में तनातनी, जानें विवाद की वजह

Dispute over Farishtey Scheme
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दिल्ली सरकार और एलजी कार्यालय के बीच फरिश्ते योजना पर विवाद।
दिल्ली में जरूरतमंदों को तत्काल चिकित्सा सहायता देने के उद्देश्य से शुरू की गई फरिश्ते योजना को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल कार्यालय में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।  

Dispute over Farishtey Scheme: फरिश्ते योजना को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल कार्यालय के बीच चल रहे विवाद ने राजनीतिक गलियारों में तूल पकड़ लिया है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने आरोप लगाया है कि उपराज्यपाल कार्यालय इस योजना को जानबूझकर रोक रहा है, जबकि उपराज्यपाल कार्यालय ने आप सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है।

क्या है एलजी कार्यालय का बयान?

एलजी कार्यालय ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को वापस लेना यह साबित करता है कि उनके द्वारा लगाए गए आरोप निराधार और झूठे थे। उन्होंने कहा कि फरिश्ते योजना के संचालन में कोई बाधा नहीं डाली गई थी। एलजी कार्यालय ने यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-2023 के दौरान योजना के तहत 4.85 करोड़ रुपये और 2023-2024 में 4.98 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।

एलजी कार्यालय के बयान पर दिल्ली सरकार का पलटवार

दिल्ली सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 29 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई, जिससे योजना को फिर से सक्रिय किया जा सका। स्वास्थ्य मंत्री ने एलजी कार्यालय पर जानबूझकर योजना को बाधित करने और भुगतान रोकने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी दावा किया कि एलजी ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पत्रों को नजरअंदाज किया।

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दिल्ली में क्या है फरिश्ते योजना?

फरिश्ते योजना दिल्ली सरकार की एक पहल है, जिसे सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। इस योजना के तहत, यदि कोई व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाता है, तो उसे किसी भी कानूनी प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा, और सरकार अस्पताल का पूरा खर्च वहन करती है।

सियासी आरोप-प्रत्यारोप जारी

दोनों पक्षों के बयान इस योजना के संचालन में रुकावटों और जिम्मेदारियों को लेकर तीखी बहस को दर्शाते हैं। हालांकि, जरूरतमंदों तक तत्काल सहायता पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू की गई इस योजना को लेकर विवाद ने दिल्ली की राजनीति को गरमा दिया है।

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