Delhi News: पांच साल पहले जब सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट-2019 को लागू किया गया था, तब जामिया मिल्लिया के छात्रों ने इसका विरोध किया था। इसको लेकर उन्होंने काफी प्रदर्शन भी किए थे। इस विरोध प्रदर्शन को पांच साल हो चुके हैं। बीते दिन एक बार फिर जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने पांच साल पूरे होने के अवसर पर इसका पुरजोर विरोध किया। ऐसे में यूनिवर्सिटी में एक्टिव लेफ्टिस्ट आइडियोलॉजी वाले छात्र संगठन AISA (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) ने इसे याद करने के लिए एक योजना बनाई। इस योजना के मद्देनजर यूनिवर्सिटी ने रविवार को लगने वाली क्लासेज सस्पेंड कर दीं।
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यूनिवर्सिटी ने छात्रों के मंसूबों पर फेरा पानी
बता दें कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया के लेफ्टिस्ट आइडियोलॉजी वाले छात्र संगठन AISA ने 2019 में हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में प्रदर्शन किया। छात्रों की योजना थी कि वे 15 दिसंबर को स्मृति कार्यक्रम आयोजित करेंगे। यूनिवर्सिटी ने उनके मंसूबों पर पानी फेरते हुए रविवार को क्लास ही सस्पेंड कर दीं। लाइब्रेरी और कैंटीन को भी बंद कर दिया गया। छात्रों ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने ये निर्णय इसलिए लिया है, ताकि छात्र इस कार्यक्रम में हिस्सा न ले सकें।
दिल्ली पुलिस के खिलाफ लगाए नारे
हालांकि छात्रों ने यूनिवर्सिटी के बाहर दिल्ली पुलिस के खिलाफ नारे लगाए। एक वीडियो में देखा गया कि पुलिस कर्मियों की भारी तैनाती के विरोध में छात्र यूनिवर्सिटी के बाहर नारे लगाते हुए देखा गया। प्रदर्शन के दौरान यूनिवर्सिटी के अंदर के छात्रों का बाहर आना वर्जित रहा और बाहर के छात्रों का यूनिवर्सिटी में जाना वर्जित रहा।
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यूनिवर्सिटी प्रशासन पर आरोप
इसके बाद छात्रों ने यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन के खिलाफ भी नारेबाजी की और उन पर आरोप लगाया कि हम कार्यक्रम में हिस्सा न ले सकें, इसलिए ऐसा किया गया। दिल्ली पुलिस ने 15 दिसंबर 2019 को हमारे दोस्तों को घायल कर दिया था। यूनिवर्सिटी परिसर में तोड़फोड़ की गई थी। इसको लेकर हम लोग प्रदर्शन करना चाहते हैं, तो हमारे साथ ही आतंकवादियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। बता दें कि शनिवार रात को जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी की तरफ से तीन सर्कुलर जारी किए गए थे। इन सर्कुलर में कहा गया कि मेंटेनेंस वर्क के कारण कैंटीन, क्लास और लाइब्रेरी दोपहर एक बजे से बंद रहेंगे।
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