Dr Ganesh Baraiya Success story: कद-कांठी नहीं योग्यता देखिए...इस लोकोक्ति को चरितार्थ कर दिखाया है गुजरात के डॉ गणेश बरैया। 2018 में मेडिकल की प्रवेश परीक्षा पास कर जब दाखिला लेने के गए तो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भरोसा नहीं हुआ कि वह डॉक्टर बन पाएंगे। कॉलेज प्रबंधन ने नियमों का हवाला देकर एडमिशन देने से इनकार कर दिया, लेकिन गणेश विचलित नहीं हुए, बल्कि कानूनी लड़कर न सिर्फ मेडिकल कॉलेज में एडमिन लिया। बल्कि, खुद को साबित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी।
VIDEO | Meet the 3-foot doctor who overcame mounting challenges to serve humanity
Ganesh Baraiya, 23, from #Gujarat recently finished his MBBS. However, his journey to earning a medical degree had its own set of challenges, including denial of admission to medical school because… pic.twitter.com/LEnI0GamME
— Press Trust of India (@PTI_News) March 6, 2024
डॉ. गणेश बरैया अभी भावनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप कर रहे हैं। अगले साल यानी 2025 में नीट पीजी का इंट्रेंस देकर मेडिसिन अथवा डार्मटोलॉजी में पीजी करना चाहते हैं। भावसागर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ हेमंत मेहता ने बताया कि वह हर मुश्किल का कोई न कोई रास्ता खोज लेते हैं। कभी कोई समस्या होती है तो हर संभव मदद उपलब्ध कराई जाती है।
डॉ गणेश बरैया का परिवार
भावनगर के गोरखी गांव निवासी डॉ बरैया ने सफलता का श्रेय मां को देते हैं। कहा, उनके प्रोत्साहन से ही मैंने डॉक्टर बनने का सपना देखा था। मैं अपने परिवार में उच्च शिक्षा हासिल करने वाला पहला व्यक्ति हूं। उनके पिता सामान्य किसान हैं। डॉ बरैया की सात बहनें हैं। सभी की शादी हो गई। छोटा भाई B.ed की पढ़ाई कर रहा है।
डॉ गणेश बरैया की सफलता दोस्तों की भूमिका
डॉ बरैया ने मानते हैं उनकी सफलता के उनके साथ पढ़ने वाले दोस्तों, परिजनों और स्कूल कॉलेज के शिक्षकों का अहम योगदान है। आज मैं उनकी वजह से ही यहां पहुंचा हूं। हालांकि, उनके कुछ दोस्तों को भी भरोसा नहीं था कि वह डाक्टर बन सकते हैं। वह कहते थे कि डॉक्टर बन भी गया तो इमरजेंसी केस कैसे संभालेगा।
परिवार में जन्मे 23 वर्षीय गणेश बरैया ने हाल ही में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है। और भावनगर मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप कर रहे हैं। लेकिन डॉक्टर बनने का उनका सफर असान नहीं था। बौनेपन और 72 फीसदी हिस्से को प्रभावित करने वाली लोकोमोटिव विकलांगता के चलते उन्हें कॉलेज में एडमिशन नहीं मिला। तभी वह मुस्कुराहट के साथ कर्तव्य पथ पर जुटे रहे।