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हरियाणा के अंबाला में शंभू बॉर्डर बंद होने के कारण वाहन चालकों को जान हथेली पर रखकर धूल, दलदल व खतरनाक कच्चे रास्तों से होकर गुजरना पड़ रहा है। दोनों राज्यों का दस किलोमीटर का रास्ता पार करना लोगों के लिए बड़ा जोखिम हो गया है।

अंबाला: शंभू बॉर्डर पर 300 दिन से डटे किसानों के कारण दिल्ली-अमृतसर नेशनल हाइवे बंद है। इसकी वजह से हरियाणा-पंजाब में सफर करने वाले वाहन चालकों के सामने बड़ी मुसीबत है। उन्हें धूल, दलदल व खतरनाक कच्चे रास्तों से होकर गुजरना पड़ रहा है। घग्गर नदी (Ghaggar River) पार करते समय चालकों को वाहनों के साथ जान हथेली पर रखकर चलना पड़ रहा है। चालकों का कहना है कि यह उनकी मजबूरी है। दोनों राज्यों का दस किलोमीटर का रास्ता पार करना उनके लिए बड़ा जोखिम हो गया है। खासकर हरियाणा-पंजाब को जोड़ने वाले गांव के कच्चे रास्तों को अपनाकर परिवार की जान भी मुसीबत में फंसा रहे हैं।

गांवों में रोज हो रहे टकराव

अंबाला शहर के छोटी घेल व बड़ी घेल के ग्रामीण इस समय सबसे ज्यादा दिक्कत में हैं। पिछले दस महीनों से इन गांवों की सड़कें भारी वाहनों की वजह से जर्जर हो गई हैं। रोज वाहनों की लंबी लाइनों से यहां दिनभर जाम रहता है। इसी वजह से अक्सर ग्रामीणों व वाहन चालकों में टकराव की स्थिति बन जाती है। ग्रामीणों का आरोप है कि वाहनों की लंबी लाइनों से अब उनके बुजुर्ग व बच्चे भी घरों से बाहर निकलने से डरते हैं। क्योंकि ऐसे कई हादसे हो चुके हैं जिनमें बच्चों की जान जाते जाते बची है।

मिट्टी का अस्थाई पुल बेहद खतरनाक

जालंधर, अमृतसर जाने वाले वाहन चालकों को लंबा सफर तय करना पड़ रहा है। ऐसे वाहन चंडीगढ़ से लालडू से पहले सरसीनी गांव से होकर जाते हैं। यह सड़क मोहाली को जोड़ती है। कुछ किलोमीटर की यह सड़क बेहद खतरनाक (Dangerous) है। गांव से होकर गुजर रहे इस मार्ग के आसपास रास्तों पर अचानक से खेलते हुए बच्चे आ जाते हैं। इस कारण किसी भी समय हादसा हो सकता है। इसी प्रकार आगे घग्गर नदी के ऊपर से इस मार्ग को पार करना होता है। इस नदी पर मिट्टी से अस्थाई पुल बनाया है। जहां पुल के नीचे खाली जगह से पानी बह रहा है तो इस पुल पर एक गाड़ी के निकलने की ही जगह है। इस पर चलने पर ऐसा महसूस होता है कि कभी भी गाड़ी का पहिया नदी में गिर सकता है।

दिन भर उड़ती धूल से ग्रामीण परेशान

पंजाब में मोहाली के रास्ते अमृतसर जाने वाले वाहन चालक इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। पहले यह रास्ता कई गांवों से होकर गुजरता है। इस मार्ग पर सिर्फ एक ही गाड़ी के निकलने की जगह है। अगर दूसरी गाड़ी सामने से आ गई तो उसे कच्चे फुटपाथ (Footpath) पर उतरना होगा। इससे गाड़ी के एक तरफ के टायर कभी भी खेतों में जा सकते हैं। दूसरा रास्ता अंबाला के ग्रामीण क्षेत्रों से होकर जाता है। यह दो पहिया वाहनों के लिए भी सही नहीं है। मगर अब कच्चे रास्ते से वाहनों की आवाजाही इतनी बढ़ गई है कि हरदम यहां पर धूल का गुबार रहता है, जिससे ग्रामीणों का बुरा हाल है।

राज्य सरकार स्थिति के लिए जिम्मेदार

शंभू बॉर्डर पर डटे संयुक्त किसान मोर्चा के मीडिया प्रभारी तेजबीर सिंह पंजोखरा ने बताया कि स्थिति के लिए हरियाणा सरकार (Haryana Government) जिम्मेदार है। किसान तो शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जाना चाहते हैं। चार बार कोशिश कर चुके हैं लेकिन हरियाणा सरकार आंसू गैस के बम व गोलियां बरसा कर रास्ता रोक रही है। अगर सरकार रास्ता दे तो किसान दिल्ली कूच कर जाएंगे। फिर शंभू बॉर्डर का रास्ता खुद ही चालू हो जाएगा।

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