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Bansi Lal and Bhajan Lal family out of BJP convention : हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP ) ने हाल ही में अपने सक्रिय सदस्यता सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें पार्टी ने विधानसभा सीटों के हिसाब से 270 प्रवक्ताओं का चयन किया। इस सम्मेलन में जहां एक ओर पार्टी ने कई नए और पुराने नेताओं को जगह दी, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल और बंसीलाल परिवार के नेताओं को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया। इन परिवारों के नेताओं में खास तौर पर किरण चौधरी, उनकी मंत्री बेटी श्रुति चौधरी, पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे भव्य बिश्नोई शामिल हैं, जिन्हें पार्टी ने प्रवक्ता की सूची से बाहर रखा। यह स्थिति न केवल पार्टी के आंतरिक समीकरणों को दर्शाती है, बल्कि हरियाणा की राजनीति में भाजपा की नीतियों और परिवारों के प्रति बदलते दृष्टिकोण को भी उजागर करती है।

बंसीलाल और भजनलाल परिवार के खिलाफ बीजेपी की सख्ती

हरियाणा में भाजपा के सक्रिय सदस्यता सम्मेलन से पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल और बंसीलाल परिवार की छुट्टी साफ तौर पर दिख रही है। दोनों परिवारों के नेताओं को प्रवक्ता नहीं बनाया गया है, और यह भाजपा के भीतर की राजनीति और रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है। पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के गढ़ भिवानी में भाजपा ने सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह को प्रवक्ता के रूप में नियुक्त किया है। दिलचस्प बात यह है कि धर्मबीर सिंह को बंसीलाल परिवार का राजनीतिक विरोधी माना जाता है, क्योंकि वे और बंसीलाल दोनों ही एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। इतिहास में यह देखा गया है कि धर्मबीर सिंह ने बंसीलाल को एक बार चुनाव में हराया था, हालांकि बाद में चुनाव आयोग ने उस चुनाव को रद्द कर दिया था। इसके अलावा, धर्मबीर सिंह ने श्रुति चौधरी के पिता और राज्यसभा सांसद किरण चौधरी के पति चौ. सुरेंद्र सिंह को भी चुनावी मुकाबले में हराया था।

लोकसभा चुनाव में भजनलाल परिवार का हाशिए पर जाना

भजनलाल परिवार की राजनीतिक स्थिति 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद से काफी कमजोर हो गई है। इस दौरान, कुलदीप बिश्नोई, जो इस परिवार के प्रमुख सदस्य हैं, हिसार से लोकसभा टिकट की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन भाजपा ने यह टिकट रणजीत चौटाला को दे दिया। इस फैसले से कुलदीप बिश्नोई नाराज हो गए थे और उन्होंने भाजपा का प्रचार नहीं किया। इस स्थिति में मुख्यमंत्री नायब सैनी को उन्हें मनाने के लिए व्यक्तिगत रूप से जाना पड़ा।

इसके बाद, भाजपा ने राज्यसभा के लिए कुलदीप बिश्नोई की दावेदारी को खारिज कर दिया और कांग्रेस से आयी किरण चौधरी को उम्मीदवार बनाया। बाद में 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को आदमपुर में हार का सामना करना पड़ा, जो इस परिवार के लिए एक बड़ा झटका था। इसके बाद भाजपा ने राज्यसभा के लिए रेखा शर्मा को नामित किया, जबकि कुलदीप बिश्नोई और उनके परिवार को हाशिए पर डाल दिया गया।

भाजपा द्वारा चुनाव हारे नेताओं को प्रवक्ता बनाना

भाजपा ने जहां बंसीलाल और भजनलाल परिवार के नेताओं को प्रवक्ता के रूप में स्थान नहीं दिया, वहीं पार्टी ने कई हारे हुए नेताओं को भी प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी है। इसका मतलब यह है कि भाजपा का ध्यान केवल सत्ता और चुनावी जीत पर नहीं, बल्कि पार्टी के आंतरिक समीकरण और सशक्त नेतृत्व पर भी है। पंचकूला जिले से कालका विधानसभा की विधायक शक्तिरानी शर्मा को प्रवक्ता बनाया गया है, हालांकि वे चुनाव हार चुकी हैं। इसके अलावा, पंचकूला सीट से चुनाव हारे ज्ञानचंद गुप्ता को भी प्रवक्ता के रूप में शामिल किया गया है। अंबाला कैंट से अनिल विज, जो पहले नंबर पर प्रवक्ता की सूची में हैं, ने भी चुनाव में जीत हासिल नहीं की थी।

यमुनानगर में मंत्री श्याम सिंह राणा के साथ चुनाव हारने वाले कंवरपाल गुर्जर को भी प्रवक्ता की सूची में रखा गया है। इसी तरह, कुरुक्षेत्र से मुख्यमंत्री सैनी के साथ सांसद नवीन जिंदल को प्रवक्ता बनाया गया है। थानेसर से चुनाव हारने वाले सुभाष सुधा और टोहाना से चुनाव हारने वाले देवेंद्र बबली भी इस सूची में शामिल हैं। महम से चुनाव हारने वाले दीपक हुड्डा और अटेली से आरती राव को भी प्रवक्ता बनाया गया है।

भाजपा की रणनीतिक राजनीति

भाजपा के इस कदम को एक रणनीतिक राजनीति के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें पार्टी ने न केवल पुराने नेताओं को महत्त्व दिया है, बल्कि नए चेहरों को भी आगे बढ़ाया है। बंसीलाल और भजनलाल परिवारों के नेताओं को नजरअंदाज करने का मतलब यह भी हो सकता है कि भाजपा अब हरियाणा में नए राजनीतिक समीकरण बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसके अलावा, पार्टी ने यह भी संदेश दिया है कि उसे अपने अंदरूनी विवादों और परिवारों से आगे बढ़कर केवल पार्टी के हित में कार्य करना है। 

भाजपा के सक्रिय सदस्यता सम्मेलन ने राज्य की राजनीति में कई नई दिशा और संकेत दिए हैं

हरियाणा में भाजपा के सक्रिय सदस्यता सम्मेलन ने राज्य की राजनीति में कई नई दिशा और संकेत दिए हैं। बंसीलाल और भजनलाल परिवारों के नेताओं को प्रवक्ता की सूची से बाहर रखना और पार्टी में चुनाव हार चुके नेताओं को महत्त्व देना भाजपा की राजनीति को और भी दिलचस्प बनाता है। यह कदम पार्टी की आंतरिक राजनीति और हरियाणा के भविष्य की राजनीति को प्रभावित करेगा, खासकर तब जब आगामी चुनावों के लिए रणनीतियां बन रही हैं। भाजपा अब साफ तौर पर यह संदेश देना चाहती है कि पार्टी के हित सर्वोपरि हैं और उसे किसी एक परिवार या विशेष दावेदार से कोई फर्क नहीं पड़ता।  

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