बाढ़ड़ा/चरखी दादरी: पेरिस पैरा ओलंपिक की एकल बैडमिंटन प्रतिस्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीतेश लुहाच के गांव नांधा में देर शाम जश्न मनाया गया। इस दौरान ग्रामीणों ने लड्डू बांटकर खुशी का इजहार किया और एक दूसरे को जीत की बधाई दी। ग्रामीणों ने बताया कि नीतेश पहले फुटबॉल का खिलाड़ी था, लेकिन करीब 15 साल की उम्र में ट्रेन की चपेट में आने से एक पैर गंवा दिया जिसके बाद उन्होंने बैडमिंटन शुरू किया। अब बड़ा मुकाम हासिल करके दिखाया है।
एकल बैडमिंटन में जीता सोना
बता दें कि सोमवार शाम को नीतेश ने पेरिस पैरा ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए पुरूष एकल बैडमिंटन के फाइनल मुकाबले में ब्रिटेन के खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल जीता। उसके बाद से गांव नांधा में काफी खुशी का माहौल है। ग्रामीणों ने देर रात तक मिठाइयां बांटकर एक दूसरे का मुंह मीठा करवाया और जीत की बधाई दी। इस दौरान नीतेश के ताऊ गुणपाल व चाचा सत्येंद्र ने बताया कि नीतेश के पिता इंडियन नेवी से रिटायर्ड है और जयपुर में रहते हैं। पिता की पोस्टिंग के अनुसार अलग-अलग शहरों में जाना पड़ा।
फुटबॉल का खिलाड़ी था नीतेश
नितेश के दिव्यांग होने की घटना का जिक्र करते हुए ताऊ गुणपाल ने बताया कि नीतेश जब 15 साल का था, उस दौरान उनके पिता बिजेंद्र सिंह की विशाखापट्टनम में पोस्टिंग थी। वह फुटबॉल खेलता था। एक दिन वह अपने दोस्त के जन्मदिन पर गया ओर वापिस आते समय रेलवे यार्ड में रेल की चपेट में आ गया, जिसमें उसका पैर जांघ के समीप से अलग हो गया। हादसे के बाद नीतेश ने टाइम पास करने के लिए बैडमिंटन खेलना शुरू किया था, लेकिन बाद में उसकी प्रतिभा को कॉलेज में कोच ने पहचानते हुए आगे बढ़ाया और आज देश के लिए गोल्ड जीत लिया।