फरीदाबाद में तोड़ी 50 साल पुरानी मस्जिद : नगर निगम ने अवैध निर्माण बताकर चलवाया बुलडोजर, लोग बोले-सुप्रीम कोर्ट में है मामला

फरीदाबाद के बड़खल क्षेत्र में मंगलवार को नगर निगम ने पुलिस बल के सहयोग से एक 50 साल पुरानी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। नगर निगम का कहना है कि यह मस्जिद अवैध रूप से बनाई गई थी।;

Update:2025-04-15 17:10 IST
फरीदाबाद के बड़खल में पुरानी मस्जिद को तोड़ता नगर निगम का अमला।Municipal corporation staff demolishing the old mosque in Badkhal, Faridabad.
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फरीदाबाद में तोड़ी 50 साल पुरानी मस्जिद : फरीदाबाद के बड़खल क्षेत्र में मंगलवार को नगर निगम ने पुलिस बल के सहयोग से एक 50 साल पुरानी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। नगर निगम का कहना है कि यह मस्जिद अवैध रूप से बनाई गई थी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर ही यह कार्रवाई की गई। हालांकि, स्थानीय लोग इस कदम का विरोध कर रहे हैं और इसे न्यायालय की अवमानना करार दे रहे हैं। यह कार्रवाई तब हुई है जब पूरे देश में नए वक्फ कानून को लेकर विवाद जोरों पर है।

तीन एसीपी और 250 पुलिस कर्मचारी रहे तैनात

नगर निगम की टीम मंगलवार सुबह भारी पुलिस बल के साथ अक्सा मस्जिद को गिराने पहुंची। इस दौरान तीन एसीपी और लगभग 250 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। टीम ने पहले कुछ छोटे निर्माणों को गिराया और फिर मस्जिद को निशाना बनाया। इस पूरी कार्रवाई के दौरान क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी रही, हालांकि किसी प्रकार की हिंसा की सूचना नहीं है।

लोगों का दावा-गांव की जमीन दान में मिली थी

स्थानीय निवासी मुस्ताक के अनुसार, यह जमीन बड़खल गांव की मानी जाती है और पूर्व सरपंच रक्का ने मस्जिद के लिए इसे दान में दी थी। उनका कहना है कि मस्जिद का प्लाट करीब 600 गज का है, जिसमें लगभग 40x80 वर्ग गज के क्षेत्र में निर्माण है। पिछले पांच दशकों से धार्मिक गतिविधियों के लिए उपयोग की जा रही थी। उन्होंने बताया कि बड़खल गांव की ओर से करीब 17-18 लोगों की एक समिति इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में लड़ रही है। मुस्ताक ने यह भी बताया कि कुछ समय पहले जब नगर निगम ने इलाके में एक बाउंड्री वॉल बनाई थी, तब मस्जिद को छोड़ दिया गया था और यह कहा गया था कि इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। ऐसे में, उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में मामला अभी विचाराधीन है, और तब तक किसी भी प्रकार की तोड़फोड़ न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ है।

सुप्रीम कोर्ट में मामले का दिया हवाला, लेकिन अधिकारी बोले-फैसला हो चुका

स्थानीय लोगों का आरोप है कि निगम ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले की अनदेखी की है। उनके अनुसार, जब तक अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक ऐसी कार्रवाई न केवल गैरकानूनी है, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचा सकती है। नगर निगम की ओर से इस बारे में अब तक विस्तृत बयान नहीं आया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी के बाद ही कार्रवाई की गई है। मस्जिद को तोड़ने के साथ-साथ निगम ने क्षेत्र में अन्य अवैध निर्माणों को भी गिराया है।

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