सुरेन्द्र असीजा, फतेहाबाद: प्रदेश में विधानसभा चुनावों का बिगुल बजते ही फतेहाबाद विधानसभा सीट पर सभी चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं की धड़कनें तेज हो गई है। हालांकि इस समय दोनों प्रमुख पार्टियों के नेता अपनी टिकट मानकर गांवों के दौरे कर रहे हैं। फतेहाबाद विधानसभा सीट पर टिकट के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही एक जैसे हालात हैं। दोनों ही प्रमुख दलों में टिकट के चाहवानों की मारामारी है। कांग्रेस और भाजपा में इस समय प्रमुख रूप से 4-4 नेता टिकट की दौड़ में है। फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां 2 लाख 58 हजार 65 मतदाता है, जिनमें से 1 लाख 21 हजार 795 महिला वोटर शामिल हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के नेता गांवों में रैलियां कर रहे हैं।

भाजपा में टिकट के ये हैं दावेदार

भाजपा की बात करें तो वरिष्ठ नेता एवं हरकोफैड के चेयरमैन वेद फुलां प्रतिदिन विधानसभा के गांवों का दौरा कर रहे हैं। वेद फुलां फतेहाबाद के जिला प्रधान के साथ कैथल के प्रभारी व लोकसभा चुनाव में सिरसा के प्रभारी रह चुके हैं। सीएम अपने दौरे के दौरान उन्हें अपना पुराना साथी बता चुके हैं। दूसरे भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पशुपालन एवं डेयरी प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक राजपाल बैनीवाल भी गांवों के दौरे पर हैं। वह इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में नजर आ रहे हैं। वर्तमान विधायक दुड़ाराम पिछले दिनों सीएम की फतेहाबाद में रैली कर शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं। वो अलग बात है कि सीएम ने उनकी मांगें न मानकर उन्हें निराश ही किया है। वह भी टिकट को लेकर पूरा जोर लगा रहे हैं।

कांग्रेस में टिकट के ये हैं दावेदार

कांग्रेस में इस समय टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है लेकिन प्रमुख रूप से चार नेता आगे नजर आ रहे हैं। हुड्डा गुट के पूर्व सीपीएस प्रहलाद सिंह गिलांखेड़ा व उनके पुत्र आनंदवीर गिलांखेड़ा दोनों काफी सक्रिय है। पूर्व विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया सैलजा गुट के सबसे कद्दावर नेता है। लोकसभा में सैलजा की जीत में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। हुड्डा गुट से डॉ. विरेन्द्र सिवाच हलके में सक्रिय है। उन्हें पूर्व सीएम भूपेन्द्र हुड्डा का खास माना जाता है। कांग्रेस टिकट के चौथे दावेदार विनीत पुनियां है। एआईसीसी के सचिव विनीत पुनियां राहुल गांधी के खास माने जाते हैं। वह भी इस समय हलके का दौरा कर रहे हैं। इसके अलावा भट्टू के पूर्व विधायक कुलबीर बैनीवाल व पूर्व मंत्री सम्पत सिंह भी कांग्रेस टिकट की रेस में हैं।

विधायक की कमजोरी और ताकत

इस बार विधायक दुड़ाराम अपने कार्यकाल में फतेहाबाद के लिए कोई भी बड़ा प्रोजेक्ट लाने में नाकाम रहे। यहां तक कि मेडिकल कॉलेज की घोषणा होने के बाद उसे फतेहाबाद विधानसभा से टोहाना विधानसभा शिफ्ट कर दिया गया। दूसरे, विधायक के अपने ही ड्राईवर व पीए पर नौकरियों के नाम पर पैसे लेने के आरोप लगे। इसी दौरान विधायक के ड्राइवर ने ग्रामीणों के साथ धरना भी दिया। सीएम खट्टर के बाद सीएम सैनी ने भी उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी। रैली में विधायक ने सीएम के सामने 42 मांगे रखी। सीएम ने कांग्रेस राज की कुछ घोषणाओं को गिनाकर विधायक को टरका दिया। हालांकि पॉजिटिविटी के नाम पर बात करें तो विधायक ने यहां सरकारी कॉलेज खुलवाया।

कांग्रेस में गिलांखेड़ा, सिवाच व बलवान के बीच फंसी टिकट

कांग्रेस के प्रहलाद सिंह हुड्डा के खासमखास माने जाते हैं लेकिन उनकी कमजोरी यह है कि वह यहां से लगातार दो बार हार चुके हैं। सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा भी दो बार हारने वालों को टिकट देने का विरोध कर रही हैं। उनका तर्क है कि ऐसे उम्मीदवार की बजाय दूसरे को टिकट दिया जाए। अगर सैलजा की चली तो फतेहाबाद से बलवान दौलतपुरिया की टिकट पक्की है। वहीं हुड्डा अपनी जिद्द पर कायम रहे तो प्रहलाद सिंह के पुत्र आनंदवीर की भी लॉटरी लग सकती है। फतेहाबाद से दीपेन्द्र हुड्डा के नजदीकी डॉ. विरेन्द्र सिवाच का पलड़ा भी कमजोर नहीं कहा जा सकता।

पिता-पुत्र व दो महिलाओं सहित 19 नेताओं ने मांगी टिकट

फतेहाबाद विधानसभा से कांग्रेस के 19 नेताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया है। इनमें दो महिलाएं भी शामिल है। आवेदन करने वालों में प्रहलाद सिंह गिलांखेड़ा, बलवान सिंह दौलतपुरिया, कुलबीर बैनीवाल, विनीत पुनियां, सुधीर गोदारा, आनंदवीर गिलांखेड़ा, माधोराम एडवोकेट, अमन ढिल्लो, मुकेश प्रजापति, डॉ. उषा दहिया, राजवीर सोनी, सीताराम बैनीवाल, अनिल ज्याणी, चितवन गोदारा, चन्द्रमोहन पोटलिया, डॉ. विरेन्द्र सिवाच, सुभाष बिश्नोई, अश्विनी चौधरी व अमित दलाल शामिल हैं।