हरियाणा में दिव्यांग भाई की हत्या का मामला: फतेहाबाद कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा, जानिए क्या है पूरा मामला?

Fatehabad Court Sentenced Culprit To Death: हरियाणा में मकान से जुड़े विवाद में दिव्यांग भाई की बेरहमी से हत्या करने वाले दोषी भाई को फतेहाबाद कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। साथ ही जिला एवं सत्र न्यायाधीश दीपक अग्रवाल की अदालत ने दोषी के ऊपर 35 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि यह मामला 18 जून 2020 का है। दोषी अशोक ने अपने भाई की धारदार हथियार से सिर काटकर हत्या कर दी थी। इतना ही नहीं आरोपी ने भाई के सिर को पॉलिथीन में डालकर अपने साथ चला गया था और नहर में फेंक दिया था। फतेहाबाद कोर्ट ने इस मामले में आरोपी अशोक को फांसी की सजा सुनाई है और इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस की कैटेगरी में रखा है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह पूरा मामला 18 जून 2020 का है, जब अशोक ने तेज धारदार हथियार से अपने दिव्यांग भाई की हत्या कर दी थी। इसके बाद वह सिर को लेकर अपने साथ करीब डेढ़ घंटे लेकर घूमता रहा और फिर नहर में फेंक दिया था। इसके बाद शिकायत मिलने पर पुलिस ने जांच शुरू की, जिसमें मृतक का सिर व अन्य सामान बरामद किए गए। पुलिस ने हत्या के मामले में आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 457, 506, 302 व 201 के तहत केस दर्ज किया था। इसके बाद अब फतेहाबाद की अदालत ने धारा 302 में फांसी के साथ 20 रुपए का जुर्माना, धारा 457, 506, 201 में 5-5 साल कैद और 5-5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। इस मामले का सफल पैरवी वकील अरुण कुमार ने की है।
मकान को लेकर था भाई से विवाद
इस मामले की जानकारी देते हुए डिप्टी डीए अरुण बंसल ने बताया कि पंजाब के संगरूर निवासी सुषमा देवी पत्नी मनजीत सिंह ने अपना बयान दर्ज करवाया था। जिसमें उन्होंने बताया था कि उसके भाई अशोक ने छोटे भाई दीपक का गला काटकर हत्या कर दी है। शिकायतकर्ता सुषमा ने पुलिस को बताया कि वह 6 भाई-बहन हैं, जिसमें दो भाईयों की मौत हो चुकी है। उसका छोटा भाई दीपक 40 वर्ष का दिव्यांग था और उसका तलाक भी हो गया था। सुषमा ने बताया कि दीपक अपनी मां के साथ टोहाना में गोगामेड़ी में रहता था। 10 साल पहले ही उसकी मां ने घर की रजिस्ट्री दीपक के नाम कर दी थी, जिसे लेकर दूसरा भाई अशोक उससे रंजिश रखता था और कई बार जान से मारने की धमकी भी दे चुका था।
अशोक ने धारदार हथियार से की दीपक की हत्या
शिकायतकर्ता सुषमा के मुताबिक, गांव डांगरा का रहने वाला सुरजीत उसके भाई दीपक का धर्म भाई बना हुआ था। सुरजीत ने 18 जून को सुषमा के कॉल करके बताया कि जब वह 17 जून को दीपक के घर गया हुआ था, तो अशोक वहां पर आया और उसने सामने बैठकर शराब पीने लगा। दोनों बैठकर बातचीत कर रहे थे, जिसके बाद सुरजीत उन्हें छोड़कर वहां से अपने गांव चला गया। इसके बाद जब अगले दिन सुरजीत दीपक से मिलने के लिए और दरवाजा खटखटाया, तो दरवाजा खुल नहीं रहा था। इसकी सूचना मिलने पर सुषमा अपने पति के साथ वहां पहुंची और पुलिस को जानकारी दी। जब दरवाजा खोलकर अंदर देख गया, तो बरामदे में दीपक की लाश खून से लथपथ पड़ी मिली, लेकिन सिर्फ उसका धड़ फर्श पर पड़ा था और उसका सिर गायब था।
हत्या के 2 दिन बाद अशोक हुआ गिरफ्तार
सुषमा ने अशोक पर अपने भाई दीपक की हत्या का आरोप लगाया, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। वारदात के 2 दिन बाद पुलिस ने आरोपी अशोक को टोहाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसने ही अपने भाई की हत्या की थी और उसके बाद कीमती सामान और नगदी कैश लेकर भाग गया था। फतेहाबाद के कोर्ट ने इस मामले तमाम सबूतों और गवाहों को देखते हुए अशोक को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है।
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