Haryana Assembly Elections: हरियाणा में लगभग एक महीने बाद विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है। ऐसे में सभी पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने में लगी हुई हैं। वहीं, दूसरी तरफ जननायक जनता पार्टी (JJP) छोड़ चुके पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली कांग्रेस पार्टी से टिकट की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि उनका यह सपना टूट सकता है।

देवेंद्र बबली ने इसको लेकर गुरुवार को हरियाणा के कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया और कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा से मुलाकात भी की थी। जानकारी के अनुसार, देवेंद्र बबली कांग्रेस जॉइन करने से पहले टोहाना से टिकट की शर्त रख रहे हैं, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व टिकट पक्का करने का वादा नहीं कर रहा है।

टोहाना से कांग्रेस के कई दावेदार

कांग्रेस पार्टी चाहती है कि देवेंद्र बबली पहले पार्टी में शामिल हो और उसके बाद टिकट पर विचार किया जाएगा, लेकिन कहा जा रहा है कि देवेंद्र बबली बिना टिकट के कमिटमेंट के कांग्रेस में शामिल नहीं होना चाहते। टोहाना से कांग्रेस के कई नेता अपनी उम्मीदवारी जता रहे हैं। भूपेंद्र हुड्डा गुट से पूर्व मंत्री परमवीर सिंह और सरदार निशान सिंह पहले से ही कांग्रेस से टिकट पर दावा ठोंक चुके हैं। ऐसी स्थिति को देखते हुए कहा यह जा रहा है कि देवेंद्र बबली को कांग्रेस टिकट मिलना आसान नहीं होगा।

दीपक बाबरिया ने किया टिकट देने से इनकार

प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा कि देवेंद्र बबली ने उनसे मुलाकात की थी और वो टिकट मांग रहे हैं। लेकिन मैंने उनको कहा है कि वो कांग्रेस पार्टी के सदस्य नहीं हैं, इसके चलते उन्हें टिकट नहीं दिया जा सकता। अगर अध्यक्ष कोई फैसला करते हैं तो अलग बात है, लेकिन मैंने उन्हें टिकट के लिए अभी ना कर दिया है। उन्होंने आगे कहा कि टिकट लेने से पहले उन्हें कांग्रेस ज्वाइन करनी होगी, इसके बाद ही उन्हें टिकट देने को लेकर विचार किया जाएगा।

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बबली के लिए बीजेपी में भी जाना आसान नहीं

बता दें कि कांग्रेस से पत्ता कटने के बाद देवेंद्र बबली का अब बीजेपी में जाना भी आसान नहीं होगा, क्योंकि जेजेपी से बगावत के बाद वो मनोहर लाल खट्टर के साथ नजर आये थे। उन्होंने बीजेपी सरकार को समर्थन तो दिया था, लेकिन लोकसभा चुनाव के समय वो कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा के साथ दिखे थे। इससे पहले वह दिल्ली में भी सैलजा के आवास पर उनसे मिलने गए थे। जिस जेजेपी से वो विधायक बने थे उन्हें तो वो पहले ही छोड़ चुके हैं। अब यह कहा जा रहा है कि उनके पास कांग्रेस की बात मानने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है।