फतेहाबाद: क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे डॉग बाइट के मामलों को लेकर नगरपरिषद अब आवारा कुत्तों की नसंबदी करवाने जा रहा है। क्षेत्र में इस समय करीब 2000 आवारा कुत्ते हैं जो लोगों को काटते है। आवारा कुत्ते पिछले 2 सालों में करीब 5 हजार लोगों को काट चुके हैं। कुत्ते हिंसक होकर लोगों को न काटें व इनकी आबादी न बढ़े, इसके लिए नगरपरिषद (City Council) ने उनकी नसबंदी का फैसला लिया है। इसके लिए नगरपरिषद 9 जनवरी को टेंडर आमंत्रित करेगा। कुत्तों की नसंबदी के लिए जिन फर्मों का रेट सबसे कम होगा, उस फर्म को कुत्तों की नसंबदी करने का टेंडर दे दिया जाएगा।

पहले भी लगाया गया था टेंडर

फतेहाबाद में कुत्तों की नसबंदी करने का पहली बार प्लान तैयार किया गया है। बता दें कि इससे पूर्व अगस्त माह में टेंडर आमंत्रित किए गए थे लेकिन एक ही फर्म आने के कारण मामला सिरे नहीं चढ़ सका। फतेहाबाद में इस समय दो हजार से ज्यादा आवारा कुत्ते प्रत्येक कालोनी व बाजार में घूमते देखे जा सकते हैं। गर्मी के मौसम में कुत्ते काफी हिंसक हो जाते हैं। जिस कारण वह लोगों को काटने दौड़ते हैं। नागरिक अस्पताल (Civil Hospital) के रिकार्ड के अनुसार बीते दो वर्षों में करीब 5 हजार लोग जिले में कुत्तों के काटने का शिकार हुए और उन्हें रैबीज के टीके लगाए गए।

बाजार से खरीदने पड़ते हैं टीके

पिछले दो सालों में दर्जनों बार सरकारी अस्पताल में रैबीज के टीके का स्टॉक खत्म मिला, जिसके चलते डॉग बाइट का शिकार लोगों ने बाजार से महंगे दामों पर रैबीज के टीके खरीदकर लगवाने पड़े। अब नगरपरिषद ने डॉग बाईट के बढ़ते मामलों को देखते हुए शहर में उनकी नसबंदी करवाने का फैसला लिया है। नगरपरिषद द्वारा इसके लिए ऑनलाइन टेंडर (Online Tender)आमंत्रित किए जा रहे है। बता दें कि पिछली बार तीन फर्मों ने अपने टेंडर भरे हैं, इनमें शिलगर सतगिरी गऊ सेवा समिति, दि मित्ताथल कॉआप्रेटिव सोसायटी व दि बालाजी कॉआप्रेटिव सोसायटी शामिल थी।

कुत्तों की नसबंदी पर 40 लाख से अधिक होगा खर्च

नगरपरिषद ने पहले भी कुत्तों की नसबंदी के लिए टेंडर आमंत्रित किए थे, लेकिन उस समय एक ही फर्म ने अपना टेंडर भरा, जिसके चलते नगरपरिषद को टेंडर प्रक्रिया रद्द करनी पड़ी। एक अनुमान के अनुसार एक कुत्ते की नसबंदी (Sterilization) करने के लिए करीब 2 हजार से 2200 रुपए का खर्च आएगा। इस हिसाब से नगरपरिषद कुत्तों की नसबंदी करने को लेकर 40 लाख से ज्यादा की राशि खर्च करेगी। अब देखना यह होगा कि इतनी राशि खर्च करने के बाद भी लोगों को कुत्तों से राहत मिलती है या नहीं।

कुत्तों की नसबंदी के लिए बनेंगे डॉग शैल्टर

कुत्तों की नसबंदी होने से इनकी आबादी नहीं बढ़ेगी। कुत्ते हिंसक नहीं होंगे। कुत्तों की नसबंदी के बाद कुत्ते पकड़ने वाली फर्म इनकी टैगिंग करेगी ताकि किसी कुत्ते की दोबारा नसबंदी न हो। फर्म इसके लिए एक शैल्टर बनाएगी। कुत्तों को वहां ले जाकर उनकी नसबंदी के बाद उन्हें 2-3 दिन वहीं रखा जाएगा। बाद में जहां से कुत्तों को पकड़ा गया है, उन्हें वहीं छोड़ा जाएगा।

सूनी सड़कों पर होता है खूंखार कुत्तों से सामना

सिर्फ गली-मोहल्लों ही नहीं, बल्कि मुख्य सड़कों पर भी आवारा खूंखार कुत्तों के खौफ से राहगीर दहशत में रहते हैं। देर रात तक काम कर घर लौटने वालों को कुत्तों का झुंड दौड़ा देता हैं। शहर में कई बार लोग कुत्तों से बचने के दौरान सड़क हादसे (Accident) का शिकार भी हो चुके हैं। शहर के वाल्मीकि चौक, शिव चौक, रतिया चुंगी, बीघड़ रोड, पुराना बस स्टैण्ड, नागरिक अस्पताल के पास, अशोक नगर सहित हर क्षेत्र में कुत्तों का आतंक है। स्वच्छ भारत मिशन के सिटी टीम लीडर सौरभ ने बताया कि जिन लोगों ने अपने घर में पालतू कुत्ते रखे हुए हैं। उन्हें भी अब नगरपरिषद में कुत्तों का रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा। इसके लिए मामूली फीस रखी गई है।