इन दिनों दिल्ली-एनसीआर के लोग प्रदूषण के कारण काफी परेशान हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार काफी समय से आर्टिफिशियल बारिश कराने का प्लान बना रही है, जो अभी तक सफल नहीं हो पाया। ऐसे में दिल्ली एनसीआर में पहली बार हरियाणा के गुरुग्राम के सेक्टर-82 के डीएलएफ परिसर में आर्टिफिशियल बारिश कराई गई है।
इस मामले में डीएलएफ प्राइमस सेक्टर-82 के अचल यादव का कहना है कि क्षेत्र में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 32 मंजिला ऊंचे टावरों की फायर लाइन सो आर्टिफिशियल रेन यानी कृत्रिम वर्षा कराई गई। अगर गुरुग्राम में दिल्ली की तरह प्रदूषण बढ़ता है, तो हम रोजाना आर्टिफिशियल वर्षा कराने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
अस्पतालों में बढ़ रही मरीजों की संख्या
बता दें कि दिल्ली की हावोहवा इस कदर खराब हो चुकी है कि जिन लोगों को सांस से जुड़ी कोई समस्या नहीं है, प्रदूषण के कारण उन्हें भी सांस लेने में दिक्कत हो रही है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों का तो हाल ही बेहाल है। अस्पतालों में सांस की परेशानी के साथ ही खांसी और आंखों में जलन के मरीज भी लगातार बढ़ रहे हैं। इस मामले में डॉक्टर्स बच्चों, बुजुर्गों और बीमारों को सावधान रहने के लिए सचेत कर रहे हैं।
जल्द लागू हो सकता है GRAP-3
गुरुवार की सुबह दिल्ली का आईक्यू लेवल 391 था, जो चिंता का विषय है। दिल्ली सरकार प्रदूषण के खिलाफ उठाए गए कदम नाकाम साबित हो रहे हैं। दिल्ली में GRAP-2 लागू है। ऐसे में अगर AQI लेवल 400 पाार पहुंच गया तो उम्मीद लगाई जा रही है कि जल्द ही दिल्ली में GRAP-3 लागू करने के निर्देश जारी किए जा सकते हैं।
क्या है आर्टिफिशियल वर्षा
कृत्रिम बारिश क्लाउड सीडिंग के जरिए की जाती है। क्लाउड सीडिंग आर्टिफिशियल बारिश कराने का एक वैज्ञानिक तरीका है। यह बारिश सामान्य बारिश से ज्यादा तेज होती है। क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया के दौरान छोटे-छोटे विमानों को बादलों के बीच से गुजारा जाता है। ये विमान बादलों में पोटेशियम आयोडाइड, सिल्वर आयोडाइड और शुष्क बर्फ यानी ठोस कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है। विमानों के निकलने के बाद बादलों में पानी की बूंदें जमा होने लगती हैं और फिर बारिश के रूप बरसती हैं।
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