Haryana Chunav: राहुल गांधी की यात्रा में 'संकल्प' की जगह 'डैमेज कंट्रोल' क्यों नजर आ रहा है?, जानें वजह

Haryana Vijay Sankalp Yatra
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राहुल गांधी की यात्रा में 'संकल्प' की जगह 'डैमेज कंट्रोल' क्यों नजर आ रहा है?
Haryana Chunav 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 की कगार पर राहुल गांधी की विजय संकल्प यात्रा में 'संकल्प' कम और 'डैमेज कंट्रोल' ज्यादा नजर आ रहा है।

Haryana Chunav 2024: हरियाणा में विधानसभा चुनाव 2024 की सुगबुगाहट के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 30 सितंबर से 3 अक्टूबर तक हरियाणा विजय संकल्प यात्रा शुरू की है। चार दिनों में कांग्रेस सांसद की यह यात्रा प्रदेश के विभिन्न जिलों से होकर गुजरने वाली है। इस यात्रा का उद्देश्य कांग्रेस की स्थिति को मजबूत करना है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। कांग्रेस के अभियान में न तो ठोस रणनीति दिख रही है और न ही मतदाताओं को एक स्पष्ट संदेश। इसके बजाय, यह यात्रा कहीं न कहीं डैमेज कंट्रोल की कोशिश ज्यादा लग रही है।

कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर सवाल
कांग्रेस पार्टी की चुनावी तैयारी इस बार कमजोर नजर आ रही है। पार्टी ने पहले दिल्ली से घोषणापत्र जारी किया, लेकिन बीजेपी के घोषणापत्र की बढ़ती लोकप्रियता के बाद दूसरा घोषणापत्र चंडीगढ़ से जारी करना पड़ा। इस दोहरी रणनीति से यह साफ होता है कि कांग्रेस को खुद अपनी स्थिति पर भरोसा नहीं है।

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राहुल गांधी की यात्रा ध्यान भटकाने की कोशिश
राहुल गांधी की हरियाणा विजय संकल्प यात्रा का असली मकसद चुनावी संकल्प दिखाने के बजाय लोगों का ध्यान भटकाना लगता है। राहुल गांधी के अमेरिका दौरे के दौरान आरक्षण खत्म करने के बयान और कुमारी सैलजा जैसे बड़े दलित नेता को नजरअंदाज करने के चलते कांग्रेस अंदरूनी संकट में फंसी हुई है। इन विवादों से उभरने के लिए संकल्प यात्रा निकाली गई है, लेकिन यह चुनावी रणनीति कम और संकट प्रबंधन ज्यादा नजर आ रही है।

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अमेरिका यात्रा के विवाद का असर
राहुल गांधी की हालिया अमेरिका यात्रा ने कई विवादों को जन्म दिया है, जिनमें आरक्षण पर दिए गए बयान ने खासकर दलित और पिछड़े वर्गों को नाराज किया है। इसके साथ ही, उन्होंने सिख समुदाय पर टिप्पणी कर स्थिति और भी बिगाड़ दी है। इन विवादों का असर हरियाणा चुनाव पर भी साफ देखा जा सकता है, क्योंकि जनता में इस बात को लेकर नाराजगी है कि राहुल गांधी ने ऐसे मुद्दों पर गैर जिम्मेदाराना बयान दिए।

कुमारी सैलजा को नजरअंदाज करना बना संकट
हरियाणा की सबसे प्रमुख दलित नेता कुमारी सैलजा को कांग्रेस में दरकिनार किया गया है, जो कि दलित वोटबैंक के लिए एक बड़ा झटका है। सैलजा का प्रचार अभियान से गायब रहना पार्टी की अंदरूनी राजनीति को उजागर करता है। कांग्रेस की यह स्थिति जनता की नजरों से छिपी नहीं है, और यह संकट पार्टी को चुनावों में भारी पड़ सकता है।

संकल्प यात्रा या डैमेज कंट्रोल?
राहुल गांधी की हरियाणा यात्रा का फोकस राज्य की समस्याओं के समाधान के बजाय पार्टी की नीतिगत असफलताओं को छिपाने पर अधिक लग रहा है। कांग्रेस जिन राज्यों में सरकार बना चुकी है, वहां अपने वादों को लागू करने में नाकाम रही है, और अब हरियाणा में भी यही रणनीति अपनाई जा रही है।

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