झज्जर: शहर के रेवाड़ी मार्ग पर स्थित एक निजी स्कूल में पढ़ने वाले नर्सरी कक्षा के विद्यार्थी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतक की पहचान सुलौधा गांव निवासी हिमांश के तौर पर हुई। मृतक के पिता दीपक ने बताया कि उसका पुत्र हिमांश स्कूल गया था। इसके बाद दोपहर करीब पौने दो बजे उसके स्कूल की गाड़ी हिमांश को बेहोशी की हालत में घर लेकर पहुंची। घर की महिलाओं ने जब हिमांश की हालत देखी तो उन्होंने इसकी सूचना परिजनों को दी तथा वे उसे उपचार के लिए शहर के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

स्कूल प्रबंधन को ठहराया मौत का जिम्मेवार

मृतक के पिता दीपक का कहना है कि यदि उसके बच्चे की तबीयत स्कूल में ही खराब हो गई थी तो फिर स्कूल प्रबंधन द्वारा उन्हें सूचित करते हुए शहर के किसी निकटवर्ती अस्पताल में उपचार के लिए ले जाना चाहिए था। लेकिन स्कूल संचालकों द्वारा उन्हें उसके पुत्र की तबीयत बिगड़ने संबंधी कोई सूचना नहीं दी, बल्कि वे उसे अस्पताल की बजाय बेहोशी की हालत में शहर से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित उसके घर लेकर पहुंचे।

चिकित्सकीय बोर्ड से कराया पोस्टमार्टम

अस्पताल परिसर में पोस्टरमार्टम के दौरान मौजूद जांच अधिकारी सरिता ने बताया कि उन्हें निजी अस्पताल से एक स्कूली बच्चे की मौत की सूचना मिली थी। जिसके बाद उन्होंने परिजनों से मामले की जानकारी लेते हुए शव को कब्जे लेकर पोस्टमार्टम के लिए स्थानीय नागरिक अस्पताल भिजवाया। इसके बाद परिजनों के कहने पर चिकित्सकीय बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया। इस संबंध में मृतक के पिता दीपक के बयान पर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया गया है।

दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग

अस्पताल परिसर में मौजूद मृतक के परिजनों ने मासूम हिमांश की मौत के दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। परिजनों का कहना है कि ऐसे हालातों में लापरवाही बरतने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। जैसा हाल उनके मासूम का हुआ, वैसा किसी और का नहीं होना चाहिए। यदि सख्त कदम नहीं उठाए गए तो फिर कोई मासूम किसी की लापरवाही के कारण काल का ग्रास बन सकता है।