बहादुरगढ़: इलाके की सड़कों पर अकेले सफर करना और किसी अंजान व्यक्ति को लिफ्ट देना खतरे से खाली नहीं है। दिल्ली निवासी दीपक की अपहरण के बाद हुई हत्या की वारदात ने एक बार फिर यह बात साबित कर दी है। दीपक का कसूर बस इतना था कि उसने अंजान लोगों को मदद के नाम पर लिफ्ट दे दी और आरोपियों ने उसे निर्ममता से मौत के घाट उतार दिया। ऐसे में क्षेत्र की सड़कों पर रात के समय अकेले सफर करना व लिफ्ट देना मुश्किल पैदा कर सकता है।
दिल्ली जलबोर्ड में कार्यरत था दीपक
दिल्ली के राजू एक्सटेंशन निवासी दीपक मांझी दिल्ली जल बोर्ड में कार्यरत था। 16 अगस्त को सांपला में पेपर देने आया था। शाम को पेपर देकर वापस अपने घर की ओर चला। रोहद टोल क्रास करने के बाद कुछ दूर आगे बढ़ा तो चार युवकों ने इशारा देकर उससे लिफ्ट ली। अकेला पाकर उसका अपहरण किया और उसके परिजनों को कॉल कर पांच लाख की फिरौती मांगी। अगली सुबह दीपक का शव कारोर के पास से गुजर रही माइनर में मिला। वारदात में चार लड़कों का हाथ रहा। इनके नाम रोहतक का सतीश, दहकोरा का विकास, रोहद का सुनील और अंकित आदि बताए जा रहे हैं। सतीश नाम के आरोपी को उसी दिन पुलिस ने पकड़ लिया, जब वह फिरौती की रकम दीपक के परिजनों से लेने आया था।
मृतक की नहीं मिली गाड़ी
ऐसे में सवाल अब यह है कि दीपक को फिरौती से पहले ही मार दिया गया या फिर साथी के पकड़े जाने के बाद अन्य आरोपियों ने उसे मारकर नहर में फेंका। अभी तक दीपक की गाड़ी भी नहीं मिल सकी है। लोगों का कहना है कि अपराध लगातार बढ़ रहा है। दीपक का आखिर क्या कसूर था। उसने तो मदद के लिए ही लिफ्ट दी होगी, लेकिन शातिरों ने उसे मार दिया। पहले भी लिफ्ट के बहाने लूटपाट करने जैसी वारदात होती रही हैं। इस तरह की वारदात से असुरक्षा का भाव उत्पन्न होता है और विश्वास टूटता है। उधर, सीआईए टू प्रभारी रवींद्र कुमार का कहना है कि मामले में एक आरोपी हिरासत में हैं। मंगलवार को उसे अदालत में पेश करेंगे। इस केस में तीन और युवक शामिल थे। उन्हें भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।