Haryana Voting: हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान आयोजित किया गया था। इस वोटिंग के दौरान कलायत विधानसभा का सबसे छोटे गांव खंडालवा में किसी ने भी मतदान नहीं किया। बता दें कि इस गांव में पहले केवल एक मतदाता थे। इसके बाद अब दो नए और संतों के वोट बन गए हैं, लेकिन मतदान प्रक्रिया में किसी ने भाग नहीं लिया।
इस गांव को राजस्व रिकार्ड में बे-चिराग गांव के नाम से जाना जाता है। गांव में 12वीं तक स्कूल, डाकघर और गांव का अलग से पटवारी भी है। वहीं, गांव की आबादी कुल पांच है, जो खंडालवा मंदिर में रहने वाले संत हैं। बताया जा रहा है कि मंदिर के पांच संत रघुनाथ गिरी, धर्मेश्वर गिरी, आत्मा गिरी, लाल गिरी और प्रभात गिरी में से किसी ने भी वोट नहीं दिया।
संतों ने दी अपनी राय
गांव में रहने वाले प्रभात गिरी ने कहा कि वे 80 वर्ष के हो गए हैं जब से उन्होंने संन्यास लिया है, तब से लेकर आज तक उन्होंने अपना वोट ही नहीं बनवाया। वहीं, रघुनाथ गिरी का कहना था कि संतों का राजनीति से दूर रहना ही अच्छा है। संत धर्मेश्वर गिरी ने बताया कि संत समाज देश को दिशा देने में सामर्थ्यवान होना चाहिए। समय की मांग है कि संत समाज निर्विकार भाव से सामने आए और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व को निभाना चाहिए।
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जाने इस गांव की कहानी
खंडालवा गांव को पौराणिक काल से ही एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक गांव माना जाता है। यहां पर भोलेनाथ को खटवांगेश्वर महादेव के नाम लोग जानते हैं। इस गांव कि मान्यता है कि इक्ष्वाकु वंश में भगवान राम से 14 पीढ़ी पूर्व राजा खटवांग हुए थे। उन्होंने देव और दानवों के युद्ध में देवों की और से लड़ते हुए दानवों को परास्त किया था। इसी स्थान पर उन्होंने तपस्या की जिस बाद प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें अपने नाम से जाने जाने का वरदान दिया था। उसी समय से यह जगह एक तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है।