नारनौल: अरावली जोन में शामिल जैनपुर-आंतरी के पहाड़ पर पुलिस ने छापेमारी करके एक ट्रेक्टर-ट्राली को इंपाउंड किया। करीब एक घंटे तक चले छापेमारी अभियान के दौरान खनन माफिया (Mining Mafia) में भगदड़ की स्थिति मच गई। पत्थरों से लोडिंग ट्रेक्टरों को नजदीकी गांवों में छुपाने की हिदायत देते हुए दिखाई दिए। इस दौरान पुलिस ने ग्रामीणों को अवैध खनन की रोकथाम में सहयोग करने के लिए प्रेरित किया।
पहाड़ पर चल रहा अवैध खनन
जैनपुर-आंतरी का पहाड़ अरावली परियोजना में शामिल है। यहां लाखों की लागत से आठ-नौ साल पहले पौधारोपण किया गया था। अधिकतर पौधे बड़े पेड़ों में तबदील हो गए थे, जिससे ग्रमीणों को पशुओं के चारा तथा शुद्ध हवा मिलने लगी थी। पहाड़ में खनन माफिया सक्रिय हो गया, पांच किलोमीटर लंबे पहाड़ पर करीब 52 अवैध खदानों में खनन हो रहा है। ग्रामीणों की मानें तो देर रात आठ बजे ही माफिया के कारिंदे खनन के लिए जेसीबी, ट्रेक्टर तथा ब्लास्टिंग की सामग्री लेकर पहुंच जाते हैं। एक बजे तक हैवी ब्लास्टिंग (Blasting) करके पत्थर फोड़ते हैं, इसके बाद ट्रेक्टर-ट्राली में लोड करके फरार हो जाते हैं।
पहाड़ के पत्थर में लोहे की मात्रा अधिक
विशेषज्ञों की मानें तो इस पहाड़ के पत्थर में लोहे की मात्रा सर्वाधिक है, जिसका इस्तेमाल जेसीबी व पोपलेंड के पुर्जे बनाने में होता है। डिमांड बढ़ने के कारण बॉडी लेवल तक भरी एक ट्राली ही 30 से 35 हजार में बिकती है। कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा होने की वजह से खनन माफिया ने पहाड़ को टारगेट बना लिया। रोजाना 40 से 50 ट्राली खनन होने का अंदेशा है, जिससे परेशान आंतरी, जैनपुर, बिहरीपुर, मौसमपुर के ग्रामीण प्रशासनिक (Administrative) अधिकरियों को शिकायत सौंप चुके हैं। लेकिन कार्रवाई नहीं होने के कारण खनन माफिया के हौंसले बुलंद बने हुए हैं।
पुलिस रेड में ट्रैक्टर किया इंपाउंड
सूचना मिलने पर पुलिस अधीक्षक ने पूरे जिले में औचक छापेमारी करके अवैध खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। थाना इंचार्ज ने उप निरीक्षक हरीश कुमार के नेतृत्व में छापेमार टीम का गठन किया। सुबह करीब आठ बजे टीम ने बिहारीपुर के पहाड़ पर दबिश (Raid) दी, इस दौरान एक ट्रैक्टर पत्थर खनन में संलिप्त पाया। पुलिस ने ट्रैक्टर को तुरंत कब्जे में लेकर इंपाउंड कर दिया। इसके बाद पहाड़ की अन्य खदानों का भी निरीक्षण किया। किंतु देरी होने के कारण सभी ट्रैक्टर लोड होकर खदानों से निकल चुके थे।
पांच बजे बाद खाली हो जाती हैं खदानें
जैनपुर के ग्रामीणों ने बताया कि खनन माफिया को छापेमारी का डर रहता है इसलिए मुख्य सड़क के टर्न प्वाइंटों पर बाइक सवार गुप्तचर तैनात रखते हैं। कोई भी सरकारी गाड़ी या पुलिस का वाहन पहाड़ (Mountain) की तरफ मुड़ते ही माफिया को सूचना भेज देते हैं। गाड़ी खदानों तक पहुंचने में 15 से 20 मिनट लगती हैं, तब तक खनन माफिया संसाधनों समेत भागने में कामयाब हो जाता है। रात के आठ बजे से लेकर सुबह पांच बजे तक धड़ल्ले से पत्थरों का खनन होता है।