हिसार। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक और उपलब्धि को विश्वविद्यालय के नाम किया है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई ड्रायर, डी हस्कर और पॉलिशर के साथ एकीकृत धान थ्रेशर मशीन को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय की ओर से पेटेंट मिल गया है। विश्वविद्यालय के कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह मशीन किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी। अविष्कार महाविद्यालय के फार्म मशीनरी और पावर इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. मुकेश जैन, आईसीएआर के  पूर्व एडीजी डॉ. कंचन के. सिंह और आईआईटी दिल्ली की प्रोफेसर सत्या की अगुवाई में किया गया। जिसे भारत सरकार की ओर से इसका प्रमाण-पत्र मिल गया है जिसकी पेटेंट संख्या 536920 है।

वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का नतीजा है विवि की उपलब्धियां: प्रो काम्बोज

कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि विश्वविद्यालय को लगातार मिल रहीं उपलब्धियां यहां के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का ही नतीजा हैं। विकसित की गई इस नई तकनीक के लिए पेटेंट मिलने पर उन्होंने सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही गौरव की बात है कि इस तरह की तकनीकों के विकास में सकारात्मक प्रयासों को विश्वविद्यालय हमेशा प्रोत्साहित करता रहता है। वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए उन्होंने भविष्य में भी इसी प्रकार निरंतर प्रयास जारी रखने का आह्वान किया है।

किसानों को मिल में जाने से मिलेगा छुटकारा

उन्होंने कहा कि चावल लोगों के मुख्य खाद्य पदार्थों में शामिल है। अब किसान खेत में ही मशीन का उपयोग करके धान के दानों को फसल से अलग कर सकेंगे, सुखा सकेंगे, भूसी निकाल सकेंगे (भूरे चावल के लिए) और पॉलिश कर सकेंगे (सफेद चावल के लिए)। पहले किसानों को धान से चावल निकालने के लिए मिल में जाना पड़ता था। अभी तक खेत में ही चावल निकालने की कोई मशीन नहीं थी। अब किसान अपने घर के खाने के लिए भी ब्राउन राइस (भूरे चावल) निकाल सकेंगे।

चावल में मिलेंगे अधिक पोषक तत्व

इससे सफेद चावल की तुलना में इसमें ज्यादा पोषक तत्व होते हैं, क्योंकि यह किसी रिफाइन या पॉलिश प्रक्रिया से नहीं गुजरता। सिर्फ इसके ऊपर से धान के छिलके उतारे जाते हैं। इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैलोरी मिलती है। साथ ही यह फाइबर, विटामिन और मिनरल्स का एक अच्छा स्रोत हैं। ब्राउन राइस खाने से कोलेस्ट्रोल नियंत्रित रहता है। यह मधुमेह, वजन तथा  हड्डियों को तंदरुस्त रखने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

धान थ्रेशर की मुख्य विशेषताएं

कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस के पाहुजा ने बताया कि यह मशीन 50 एचपी ट्रैक्टर के लिए अनुकूल है। ड्रायर में 18 सिरेमिक इन्फ्रारेड हीटर (प्रत्येक 650 वॉट) शामिल है। इस मशीन की चावल उत्पादन क्षमता 150 किलोग्राम/घंटा तक पहुंच जाती है। मशीन की कीमत 6 लाख रुपये है। इस मौके पर ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, फार्म मशीनरी और पावर इंजीनियरिंग विभाग की अध्यक्ष डॉ. विजया रानी, डॉ. अमरजीत कालड़ा, मीडिया एडवाइजर डॉ. संदीप आर्य, डॉ. अनिल सरोहा व श्याम सुन्दर शर्मा उपस्थित रहे।