Bahadurgarh : हत्या के मामले में करीब 25 साल से फरार चल रहे दो आरोपियों को पुलिस ने आखिरकार गिरफ्तार किया। सीआईए-2 की टीम ने एक आरोपी को पंजाब से तो दूसरे को गुरुग्राम से काबू किया। इन पर पांच-पांच हजार रुपए का ईनाम रखा गया था। 25 साल पहले वारदात को अंजाम देकर दोनों आरोपी फरार थे। पुलिस ने आरोपियों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेजा गया।
सिलाना गांव की बणी में मिला था युवक का शव
11 अगस्त 1998 को सिलाना गांव की बणी में एक व्यक्ति की लाश मिली थी। मृतक की पहचान बदायूं के निवासी महेंद्र के रूप में हुई थी। महेंद्र सोनीपत के हरसाना कलां स्थित एक मशरूम फार्म में काम करता था। महेंद्र के साथ उसके गांव के जयराम, अमर, सुखराज व वीरपाल आदि भी काम करते थे। इन्हीं चारों पर हत्या का केस दर्ज हुआ था। करीब छह महीने बाद जयराम और उसके भाई अमर सिंह को पुलिस ने काबू किया था लेकिन सुखराज तथा वीरपाल हत्थे नहीं चढ़ सके थे। वर्षों बीत गए लेकिन हाथ नहीं लगे। इसलिए रोहतक रेंज के पुलिस महानिदेशक की ओर से दोनों पर पांच-पांच हजार रुपए का ईनाम घोषित किया गया। इंस्पेक्टर मलिक की टीम ने मामले में गंभीरता से जांच करते हुए छापामारी की और आरोपी वीरपाल को होशियारपुर पंजाब तथा सुखराज को गुरुग्राम क्षेत्र से काबू कर लिया।
योजना बनाकर महेंद्र की हत्या को दिया अंजाम
आरोपियों से खुलासा हुआ कि महेंद्र नशे का आदी था और उनसे मारपीट करता था। इसलिए योजना बनाकर महेंद्र को बहाने से झज्जर के सिलाना गांव की बणी में ले गए और वहां पर अंगोच्छे से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। अमर सिंह और जयराम पहले झज्जर जिले में काम करने गए हुए थे। इसलिए वह सिलाना इलाके से अच्छी तरह से वाकिफ थे। वारदात के बाद सभी लोग अलग-अलग जगह पर अंडरग्राउंड हो गए थे। जिनमें से अमरपाल व जयराम को तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया लेकिन वीरपाल और सुखराज गिरफ्तारी से बचे रहे। फिलहाल, वीरपाल करीब आठ साल से पंजाब के होशियारपुर में नर्सरी पर काम करता था और सुखराज करीब चार साल से गुरुग्राम के न्यू पालम विहार की एक सोसाइटी में माली का काम कर रहा था।