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हरियाणा सरकार ने सोमवार रात दो आईएएस व 10 एचसीएस अफसरों की ट्रांसफर लिस्ट जारी की। महावीर कौशिक को मंदीप कौर की जगह भिवानी का डीसी नियुक्त किया गया है। नियुक्ति का इंतजार कर रही रेनू एस फुलिया को भी गृह विभाग में नियुक्ति मिली है।

Transfer and posting News। हरियाणा सरकार ने सोमवार रात दो आईएएस व 10 एचसीएस अफसरों की ट्रांसफर लिस्ट जारी की। महावीर कौशिक की जगह रेनू एस फुलिय को गृह विभाग वन व टूट में विशेष सचिव लगाया गया है। जबकि महावीर कौशिक को गृह एंव निकाय विभाग के विशेष सचिव से हटाकर मंदीप कौर की जगह भिवानी का डीसी नियुक्त किया गया है। इनके साथ 10 एचसीएस अफसरों की भी तबादला सूची जारी की गई है। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद अफसरों पर लगे आरोपों को देखते हुए अब आने वाले समय में लंबे समय से जिलों में मलाईदार पदों पर बैठे अफसरों को भी अपने ट्रांसफर का डर सताने लगा है।

किसे मिली क्या जिम्मेदारी

आईएएस महावीर कौशिक को गृह एवं निकाय विभाग के विशेष सचिव पद से हटाकर भिवानी का डीसी नियुक्त किया गया है। जबकि रेनू एस फुलिया को गृह विभाग एक व दो में विशेष सचिव लगाया है। एचसीएस वर्षा खगनवाल को पब्लिक रिलेशन विभाग में अतिरिक्त डायरेक्टर (एडमिन), सुभिता ढाका को अतिरिक्त कमिशन महानगर पालिका गुरुग्राम, विवेक चौधरी को एस्टेट ऑफिसर एचएसवीपी कुरूक्षेत्र, राजेश कुमार को संयुक्त सीईओ महानगर पालिका गुरुग्राम, गौरव कुमार को सीईओ जिला परिषद करनाल के साथ डीआरडी का कार्यभार सौंपा है। प्रशांत को माइक्रको इरिगेशन एंड कमांड का स्पेशल ऑफिसर, संयम गर्ग को संयुक्त सचिव एवं डिप्टी सक्रेटरी मानव संसाधन विभाग, राकेश सिंधु को मुख्यमंत्री का ओएसडी ग्रीवांस, पुलकिंत महलोत्रा को एस्टेट ऑफिसर एचएसवीपी जगाधरी व हरप्रीत कौर को कोऑपरेटिव सोसायटी का संयुक्त सचिव लगाया गया है।

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22 जुलाई को जारी तबादला सूची।
सरकार की हिचक से बढ़ रहे अफसरों के हौंसले

लोकसभा चुनावों नतीजों के बाद चुनावों में अफसरों की भूमिका को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल व पार्टी के आला नेताओं ने ही नहीं, बल्कि स्वयं मुख्यमंत्री नायब सैनी ने भी अफसरों को उनकी कार्यप्रणाली को लेकर सार्वजनिक मंचों से खरी खोटी सुनाई थी। जिससे आंचार संहिता खत्म होने के बाद प्रदेश में जिला स्तर पर बड़े बदलाव की उम्मीद लगाई जा रही थी। परंतु करीब पौने दो माह का समय गुजरने के बावजूद अभी तक ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला है तथा अफसर आज भी जिलों में न केवल लंबे समय से मलाईदार पदों पर बैठे हुए हैं, बल्कि कड़े फैसलें लेने में सरकार की हिचक ने मनमानी करने वाले अफसरों के हौसलें को भी बढ़ा दिया है। जिसके परिणाम सरकार द्वारा शुरू किए गए समाधान शिविरों में हो रही खानपूर्ति से सामने आ चुके हैं।

टॉप पर रोहतक, हिसार, सिरसा, सोनीपत व अंबाला 

लोकसभा चुनाव में अफसरों पर विपक्षी नेताओं के पक्ष में काम करने के आरोप लगे। रोहतक, हिसार, सिरसा, अंबाला व सोनीपत का नाम इसमें टॉप रहा। मुख्यमंत्री नायब सैनी व पूर्व मुख्यमंत्री ने भी बूथ से जिला स्तर पर मिली रिपोर्ट को आधार बनाकर अफसरों की भूमिका पर सवाल उठाए थे। जिससे विधानसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रदेश में अफसरशाही में व्यापक बदलाव की उम्मीद लगाई जा रही थी। सबसे अधिक गाज रोहतक, हिसार, सोनीपत, अंबाला व सिरसा जिलों के अफसरों पर गिरने की संभावना थी, परंतु चुनाव नतीजे आने के करीब दो माह बितने पर भी अफसर न केवल अपनी जगह जम हुए हैं, बल्कि कई जगह तो अफसर अपनी पॉवर पहले से अधिक बढ़ाने में भी सफल रहे हैं। जिससे चुनाव में कार्यप्रणाली को लेकर अफसरों को कटघरे में खड़े करने वाले नेता एवं कार्यकर्ता भी अब स्वयं को ठगा सा महसूस करने लगे हैं।

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