हरियाणा: पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर भड़कते हुए बोले कि भाजपा राज में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं खुद वेंटिलेटर पर पहुंच गई हैं। आज अस्पतालों में ना तो दवा है और ना डॉक्टर। भिवानी में डॉक्टरो के अभाव भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि जिले में डॉक्टर के 207 स्वीकृत पद हैं, लेकिन आधे खाली पड़े है। भिवानी समेत पूरे हरियाणा में यही स्थिति है। स्वास्थ्य सेवाओं में करीब 20 हजार पद खाली पड़े हैं। प्रदेश के अस्पतालों में 14000 डॉक्टरों की कमी है। गांवों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के करीब 94 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। स्टाफ और सुविधाओं के अभाव में रोज हजारों मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
लैब टेस्ट के लिए काटने पड़ते हैं चक्कर
भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि अस्पतालों में मरीजों को लैब टेस्ट के लिए कई-कई दिन चक्कर काटने पड़ते हैं या मजबूरी में प्राइवेट लैब में जाना पड़ता है। डब्ल्यूएचओ (WHO) की गाइडलाइन के मुताबिक प्रति 1000 लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन हरियाणा में 2035 लोगों पर एक डॉक्टर है। 200 लोगों पर एक बेड की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन प्रदेश में 2086 लोगों पर एक बेड उपलब्ध है। इस वजह से काफी जगह देखने में आता है कि एक-एक बेड पर दो-दो, तीन-तीन मरीज लेटे हैं और फर्श पर डिलीवरी हो रही है। प्रदेश में सीनियर मेडिकल ऑफिसर, मेडिकल ऑफिसर, डेंटल सर्जन के 5253 में से 1100 से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।
भाजपा राज में नहीं बना कोई मेडिकल कॉलेज
भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि 2014 में भाजपा ने वादा किया था कि सत्ता में आते ही हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाएगी। हकीकत यह है कि पिछले 10 साल में भाजपा द्वारा घोषित एक भी नया मेडिकल कॉलेज पूरा बनकर शुरू नहीं हो सका है। कांग्रेस कार्यकाल में बने संस्थान ही लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं। कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में एक हेल्थ यूनिवर्सिटी (Health University) और छह मेडिकल कॉलेज बनवाए थे। प्रदेश की पहली मेडिकल यूनिवर्सिटी भी कांग्रेस के समय में ही खोली गई थी। आजादी के बाद देश में महिलाओं के लिए पहला सरकारी मेडिकल कॉलेज सोनीपत के खानपुर में कांग्रेस ने खोला था।
स्वास्थ्य सेवाओं में हुआ जमकर घोटाला
भूपेंद्र हुड्डा ने बताया कि एक के बाद एक ताबड़तोड़ घोटालों को अंजाम देने में जुटी बीजेपी ने स्वास्थ्य सेवाओं में भी जमकर घोटाले किए हैं। कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मात्र 42 से 209 किलोमीटर का सफर, कई एंबुलेंस (Ambulance) ने 1,05,000 से लेकर 5 लाख रुपए में तय किया। यानी लगभग 2500 रुपए प्रति किलोमीटर में एंबुलेंस ने अपनी सेवाएं दी। इतना ही नहीं, एंबुलेंस के मरीजों तक पहुंचने के समय में भी जमकर झोल किया गया। मरीज की कॉल और मरीज तक एंबुलेंस पहुंचने का टाइम बिलकुल एक ही है, यानि 0 सेकेंड, 0 मिनट में एंबुलेंस मरीज के पास पहुंच गई, मानो मरीज ने एंबुलेंस में बैठने के बाद ही कॉल किया हो।