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पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह ने कहा कि चौ. छोटू राम ने जिंदगीभर किसान-कमेरों की लड़ाई लड़ी। 1945 की शाम भाखड़ा नांगल बांध परियोजना पर हस्ताक्षर कर उत्तर भारत को बड़ी सौगात दी तथा अगली सुबह उनका निधन हो गया। उनकी सौगात से किसानों ने देश के गोदामों को अनाज से भरा। मंच से छोटू राम को एक स्वर में भारत रत्न देने की मांग उठी।

चंडीगढ़। 1945 की शाम थी और आज़ादी से पहले के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में सूबे की सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री देर रात तक कुछ फाइलों पर हस्ताक्षर कर रहे थे। फाइल्स थी भाखड़ा-नांगल बांध परियोजना से जुड़े तमाम मामलों को अंतिम स्वीकृति देने की और उस मंत्री का नाम था चौधरी छोटूराम। उत्तर भारत के किसानों को ये सौगात देने के अगले ही दिन उनका स्वर्गवास हो गया था, परंतु किसानों के देश के गोदामों को अनाज से भरना शुरू कर दिया। चौ. छोटूराम जयंती पर चंडीगढ़ में आयोजित जाट सभा के कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं छोटू राम के नाती चौ. बीरेंद्र सिंह ने यह बात कही।

19 जनवरी 1945 को हुआ निधन 

बिरेन्द्र सिंह ने कहा कि चौ. छोटूराम भाखड़ा नांगल डेम की योजना पास करते ही 19 जनवरी 1945 को अंतिम सांस लेते हैं और अपने जीवन के अंतिम दिन भी किसानों को ऐसी सौगात देकर जाते हैं जिससे आज पूरे पंजाब, हरियाणा और उत्तरी राजस्थान की फसलें लहराती है। किसानों को बंपर पैदावार देती है इसी के बल पर भूखे भारत के गोदाम किसानों ने भरे हैं।

छोटूराम किसानों का संविधान निर्माता

चौ. बिरेन्द्र सिंह ने कहा किसानों के हित में जितने कानून, नीतियां और योजनायें उन्होंने बनाई उसके लिए उनको अगर किसानों का संविधान निर्माता भी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। आम किसान-मजदूर के हित आसानी से समझाने वाले राजनैतिक आज़ादी से पहले आर्थिक-सामजिक आज़ादी के पक्षधर चौधरी छोटूराम सारी उम्र किसान-कमेरों की लड़ाई लड़ने वाले व्यक्ति थे। कार्यक्रम मंस सभी ने एक स्वर में चौधरी छोटूराम को भारत रत्न देने की पुरजोर मांग की।

इन्होंने भी किया संबोधित

कार्यक्रम को भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष बंतो कटारिया, राज्यसभा सांसद डीपी वत्स, जस्टिस प्रीतम पाल सिंह, पूर्व आईएएस आरआई सिंह, प्रो. हरबंस सिंह ने संबोधित करते हुए सभी वक्ताओं ने एक स्वर में छोटू राम को भारत रत्न देने की मांग की।

वकील के रूप में शुरू किया था काम

डॉ. महेन्द्र सिंह मलिक ने कहा की 1912 में रोहतक आने के बाद चौधरी छोटूराम ने एक वकील के रूप में काम किया और साथ में सामाजिक हित के लिए लड़ाई लड़ने लगे। उन्होंने शिक्षा पर विशेष जोर दिया और रोहतक में एक विद्यालय की स्थापना की। डॉ. महेन्द्र सिंह मलिक ने आगे कहा कि चौधरी छोटूराम ने मंत्री के रूप में किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और ग्रामीणों के विकास के लिए कई कदम उठाए। कार्यक्रम में अर्जुन अवॉर्डी खिलाड़ियों, मेधावी विद्यार्थियों व जाट सभा के वरिष्ठ सदस्यों को सम्मानित किया गया।

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