देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के चलते सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन हरियाणा में ग्रीन पटाखों पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। झज्जर जिला प्रशासन की मानें तो दिवाली पर दो घंटे तक ग्रीन पटाखे फोड़े जा सकते हैं, लेकिन बेरियम साल्ट वाले पटाखों के उत्पादन, बिक्री और इस्तेमाल करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, झज्जर के जिलाधीश शक्ति सिंह की ओर से जारी आदेशों में कहा गया है कि 31 जनवरी 2025 तक बेरियम साल्ट वाले पटाखों पर निर्देश प्रभावी रहेंगे। जिलाधीश ने बताया कि केवल दिवाली, गुरु पर्व और क्रिसमस के दिन रात 8 बजे से 10 बजे तक ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति होगी। 

उन्होंने बताया कि पटाखों से निकलने वाला धुआं हवा को प्रदूषित करता है और कई तरह की बीमारियां पैदा करता है, खासकर सांस के रोगियों के लिए। इसलिए, वायु प्रदूषण को कम करने के लिए यह प्रतिबंध लगाया गया है।

क्या होते हैं ग्रीन पटाखे और कैसे होते है इसके प्रभाव?

ग्रीन पटाखे, ऐसे पटाखे होते हैं, जिनमें कम प्रदूषण होता है। इन पटाखों में बेरियम साल्ट नहीं होता है, जो कि प्रदूषण का मुख्य कारण होता है। सरकार के दिशा-निर्देशों और हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सुझावों के अनुरूप यह निर्णय लिया गया है। ग्रीन पटाखों का उपयोग केवल निर्धारित समय में करने की अनुमति दी गई है, जबकि जोरदार आवाज करने वाले पटाखों और पटाखों की लडियों के उत्पादन और बिक्री पर पूरी तरह से रोक रहेगी। 

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी वायु गुणवत्ता पर नजर रखेंगे

जिलाधीश ने यह भी बताया कि पटाखों के कारण वायु प्रदूषण इंडेक्स 2.5 से 10 प्वाइंट तक बढ़ सकता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी वायु गुणवत्ता पर नजर रखेंगे, जबकि पुलिस, स्थानीय शहरी निकाय, अग्निशमन और पंचायत विभाग के अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि बाजारों में पटाखों की बिक्री न हो और किसी भी फैक्ट्री में पटाखों का उत्पादन न हो। आपको बता दें कि इस आदेश के माध्यम से सरकार का लक्ष्य दिवाली जैसे त्योहारों के दौरान वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना है, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सके।

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