Casteist Slogans Raised in Ashoka University: जिस शिक्षा के मंदिर में जात-पात से परे सभी वर्गों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं, वहां जातिवाद का जहर घोला जा रहा है। मामला हरियाणा के सोनीपत में स्थित अशोक विश्वविद्यालय का है। यहां छात्रों ने कैंपस में जातिवादी नारे लगाए। ब्राह्मण और बनिया जाति को टारगेट करते हुए मुर्दाबाद नारे लगाए गए। ब्राह्मण और बनिया समुदाय को गाली देने के अलावा छात्रों ने जय भीम-जय मीम और जय सावित्री-जय फातिमा जैसे नारे लगाए। उन्होंने जाति जनगणना और आरक्षण की भी मांग की। सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आने के बाद लोगों में आक्रोश फैल गया है।
विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जोरदार बहस को बहुत महत्व देता है। लेकिन आपसी सम्मान को भी बहुत महत्व देता है। विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा कि परिसर में शांति और सद्भाव भंग न हो।
जाति जनगणना की मांग को लेकर प्रदर्शन
दरअसल, सामाजिक न्याय मंच नाम के एक ग्रुप ने 22 मार्च को प्रदर्शन किया था। छात्र कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा प्रसाद के दौरान उठाई गई जाति जनगणना की मांग की तर्ज पर विश्वविद्यालय में जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं। छात्रों की मांग है कि हर साल विश्वविद्यालय में जाति जनगणना कराई जाए, ताकि पता चल सके कि सामान्यवर्ग, ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग के कितने छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।
इसके अलावा देर से आने पर लगने वाली फाइन को खत्म किया जाए। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की याद में कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। विश्वविद्यालय ने छात्रों की मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है।
विवादों में पहले भी रहा विश्वविद्यालय
2014 में स्थापित अशोक विश्वविद्यालय पहले भी विवादों में रहा है। 2021 में नीलांजन सरकार नाम के प्रोफेसर ने बीजेपी की आलोचना की और भगवान राम का मजाक उड़ाया था। मार्च 2021 में प्रताप भानु मेहता और अरविंद सुब्रमण्यम का रेस्टीकेशन भी सुर्खियों में रहा था।
लोग बोले- इतनी नफरत क्यों है?
छात्रों द्वारा 'हमें जाति जनगणना की आवश्यकता है', और 'ब्राह्मण-बनियावाद मुर्दाबाद' जैसे नारे लगाने के वायरल वीडियो पर इन्फोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) मोहनदास पई ने अपनी पोस्ट में सवाल उठाया कि अशोक विश्वविद्यालय में इतनी जातिगत नफरत क्यों है।
विश्वविद्यालय ने छात्रों की निंदा की
विश्वविद्यालय ने कहा कि वह किसी भी व्यक्ति या समूह के खिलाफ नफरत की अभिव्यक्ति की निंदा करता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा पर अशोक विश्वविद्यालय के दिशानिर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अभिव्यक्ति की ऐसी स्वतंत्रता असीमित नहीं है और इसमें दूसरों के अधिकारों और संवेदनाओं का सम्मान शामिल है। अशोक में समुदाय की भावना को संरक्षित करने के लिए यह आवश्यक है। ऐसे कार्य जो माहौल को डराने वाले बनाते हैं , व्यक्तियों या समूहों को धमकी देना या शत्रुतापूर्ण व्यवहार करना इसलिए गंभीर अपराध माना जाता है और विश्वविद्यालय अनुशासनात्मक प्रक्रिया के अधीन है।