Haryana Politics: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के करीब 6 महीनों बाद भी नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं हो पाया है। इसके चलते बीजेपी सरकार को कई परेशानियों का सामना कर पड़ रहा है। दरअसल, हरियाणा सरकार प्रदेश में कुछ संवैधानिक पदों पर नियुक्ति नहीं कर पा रही है। इन पदों के लिए नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी है। इसको लेकर सरकार एडवोकेट जनरल से भी सलाह ले रही है, जिससे बिना नेता प्रतिपक्ष के ही नियुक्तियां की जा सकें। सीएम ने नायब सैनी ने खुद इसकी जानकारी दी।
इन पदों पर नियुक्ति करने में हो रही परेशानी
दरअसल, राज्य सरकार में कुछ पदों नियुक्ति के लिए कमेटियां बनाई जाती हैं, जिसमें नेता प्रतिपक्ष की जरूरत होती है। सरकार को एक मुख्य सूचना आयुक्त और 7 सूचना आयुक्त के पदों पर नियुक्ति करनी है। इसके लिए मुख्यमंत्री और एक मंत्री के साथ नेता प्रतिपक्ष की तीन सदस्यीय कमेटी बनाई जाती है, लेकिन कांग्रेस अभी नेता प्रतिपक्ष घोषित नहीं कर पाई है।
जानकारी के मुताबिक, अभी सिर्फ तीन ही अधिकारी सूचना आयुक्त के पद पर काम कर रहे हैं। इसके चलते सूचना का अधिकार (RTI) के तहत 7,200 से ज्यादा शिकायतें और अपीलें लंबित पड़ी हैं। ऐसे में RTI एक्ट के तहत सूचना लेने मांगने वाले लोगों को परेशानी का सामना कर पड़ रहा है।
कोर्ट का रुख करेगी सरकार
बता दें कि झारखंड में भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां पर बीजेपी ने करीब 4 महीनों तक नेता प्रतिपक्ष का ऐलान नहीं किया था। इस मामले को लेकर झारखंड की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद कोर्ट ने 2 हफ्ते के अंदर नेता प्रतिपक्ष चुनने का आदेश जारी किया था। ऐसे में हरियाणा सरकार भी कोर्ट का रुख कर सकती है।
गुटबाजी के चलते नहीं चुना जा रहा नेता प्रतिपक्ष
वहीं, हरियाणा कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष को लेकर कई महीनों से मंथन चल रहा है, लेकिन पार्टी अभी तक नेता प्रतिपक्ष नहीं चुन पाई। कांग्रेस में कई नेता अलग-अलग गुटों में बंटे हुए हैं। ऐसे में प्रतिपक्ष नेता का नाम तय नहीं हो पा रहा है। यहां पढ़िये संबंधित खबर...