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लोकसभा चुनावों की घोषणा तक रोहतक व हिसार को प्रदेश की हॉट सीट माना जा रहा है। कैडिडेट घोषित होने के बाद प्रदेश में हॉट सीट की केशन बार-बार लोकेशन बदल रही है। अभी गुरुग्राम, हिसार, करनाल व रोहतक के बीच मुकाबला बना हुआ है।

2024 के लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले रोहतक, हिसार प्रदेश की सबसे हॉट सीट माना जाता था। दीपेंद्र हुड्डा चुनाव लड़ेंगे या नहीं, उनके सामने कौन होगा। इन्हीं चर्चाओं से रोहतक टॉप पर बनी हुई थी। मनोहर लाल को टिकट मिलने के बाद करनाल व नवीन जिंदल व सुशील गुप्ता के आमने सामने आने से कुरूक्षेत्र का नाम भी हॉट सीटों में जुड़ गया। हिसार में भाजपा ने कुलदीप की जगह रणजीत चौटाला को उतारा तो रोहतक व करनाल सीट फोकस में आई तथा हिसार से रणजीत के बाद देवीलाल परिवार की दो पौत्रवधू मैदान में आने से हिसार, कांग्रेस के दिव्यांशु बुधिराजा के भगौड़ा होने की बात सामने आते ही करनाल व फिल्म अभिनेता राजबब्बर के नाम की घोषणा के बाद गुरुग्राम का नाम ट्रेंड करने से हॉट सीट की लोकेशन बदलती रही। फिलहाल रोहतक, गुरुग्राम, हिसार व करनाल सबसे अधिक चर्चा में हैं।

मेव, पंजाबी व अहीर वोटरों की चर्चा

2008 में फिर से अस्तित्व में आइ् गुरुग्राम अब तक अपराजित रहे हैं। राव इंद्रजीत 2009 में कांग्रेस और 2014 व 2019 में भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते तथा चौथी बार फिर भाजपा की टिकट पर चुनाव में ताल ठोंक रहे हैं। राव इ्ंद्रजीत सिंह को 2014 में करीब 49 व 2019 में 61 प्रतिशत वोट मिले थे। कांग्रेस को 2014 में करीब 10 व 2019 में 34 प्रतिशत वोट मिले थे। 2024 में फिल्म अभिनेता राजबब्बर (पंजाबी) के आने से मुकाबला रोचक होता दिख रहा है। अब तक अहीर व पंजाबी वोटर भाजपा के पक्ष तथा मेव विरोध में रहे हैं। राजबब्बर के आने से पहली बार मेव के साथ-साथ अहीर व पंजाबी वोटरों की चर्चा अलग अलग सुनाई देनी लगी है। राव इंद्रजीत सिंह 2019 का चुनाव में मिली जीत से हैट्रिक लगा चुके हैं, परंतु भाजपा के लिए हैट्रिक बनाने की चुनौती होगी।

रोहतक में केवल दो की ही चर्चा 

रोहतक लोकसभा सीट को हुड्डा परिवार का गढ़ माना जाता है। 2019 में मिली जीत के बाद डॉ. अरविंद शर्मा एक बार फिर दीपेंद्र हुड्डा के सामने मोर्चा संभाले हुए हैं। जजपा ने रविंद्र सांगवान को मैदान में उतारा है, जबकि इनेलो के उम्मीदवार का इंतजार अभी तक खत्म नहीं हुआ है। तीन उम्मीदवार मैदान में होते हुए भी चर्चा केवल कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा व भाजपा के डॉ. अरविंद शर्मा की ही होती है। 2019 में भाजपा को 47 व कांग्रेस को 46 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि 2014 में कांग्रेस को करीब 47 व भाजपा को 30 प्रतिशत वोट मिले थे। बात यदि 2009 के चुनाव की की जाए तो कांग्रेस को करीब 70 व भाजपा दीपेंद्र के सामने अकेले पहली बार 2014 में चुनाव में उतरी थी। सहयोगी इनेलो के वोट प्रतिशत को भाजपा का मान लिया जाए तो भी 10 साल में भाजपा का वोट प्रतिशत 34 साल बढ़ा और कांग्रेस का 24 प्रतिशत गिरा। पिछले दो चुनावों का आंकलन करें तो इस बार भी मुकाबला कड़ा रहने की संभावना बनी हुई है।

33 प्रतिशत जाट मतदाताओं पर रहेगी नजर

हिसार लोकसभा सीट पर इस बार चारों उम्मीदवार एक ही वर्ग से आते हैं। जिनमें तीन देवीलाल परिवार से हैं तो चौथे भी देवीलाल की राजनीतिक नर्सरी से निकले हुए हैं। देवीलाल के बेटे रणजीत भाजपा, पौत्रवधू नैना जजपा व सुनैना इनेलो की टिकट पर ताल ठोक रही है। कांग्रेस ने जयप्रकाश को उतारा है। भाजपा ने 2014 में हजकां के कुलदीप बिश्नोई को मैदान में उतारा था, परंतु जीत इनेलो के दुष्यंत चौटाला को मिली थी। हिसार सीट पर पहली बार 2019 में 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल कर कमल खिलाया तथा सांसद बने बृजेंद्र सिंह कांग्रेस ज्वाइंन कर चुके हैं। कांग्रेस के भव्य बिश्नोई को महज 15 प्रतिशत वोट ही मिले थे। 2024 में भाजपा ने देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला को अपने पाले में लेकर चुनाव मैदान में उतारा है। हिसार सीट पर सबसे अधिक 33 प्रतिशत जाट मतदाता है। दूसरे नंबर पर ब्राह्मण मतदाता 15 प्रतिशत होते हुए भी चर्चा में केवल जाट मतदाता ही रहते हैं।

भाजपा लगाएगी या रोकेगी कांग्रेस 

जनसंघ ने 1962 में पहली बार करनाल सीट पर जीत दर्ज की थी तथा कांग्रेस व भाजपा सह मात का खेल खेलती रही हैं। कांग्रेस के चिरंजीलाल शर्मा यहां से 1980,1984,1989 व 1991 में लगातार चार बार सांसद बने। 2014 व 2019 में दो बार जीत दर्ज कर भाजपा आधा सफर तय कर चुकी है। पिछले दो चुनावों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 19 प्रतिशत के आसपास अटका रहा, जबकि भाजपा ने 2014 में करीब 50 प्रतिशत तो 2019 में 70 प्रतिशत वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की थी। भाजपा ने साढ़े 9 साल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल पर दांव खेला है तो कांग्रेस ने उनके सामने दिव्यांशु बुद्ध्रिराजा के रूप में नया चेहरा उतारा है। ऐसे में अब देखना होगा कि मनोहर लाल भाजपा की हैट्रिक बनाकर लोकसभा पहुंचते हैं या कांग्रेस के युवा चेहरे भाजपा को हैट्रिक बनाने से रोक पाने में सफल होते हैं।

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