Sonipat: न्याय तक पहुंच परियोजना के अनुसार बाल विवाह व बलात्कार मामले में 49 वर्षीय मुजरिम को दिल्ली की अदालत ने दोषी करार दिया। अदालत ने दोषी को दस साल की सजा व 15 हजार रुपए जुर्माना लगाया। दिल्ली की विशेष पॉक्सो अदालत ने पीड़िता को 10.5 लाख रुपए का मुआवजा देने के भी आदेश दिए। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के सहयोगी संगठन एमडीडी ऑफ इंडिया ने पूरे देश में इसी तरह के फैसलों की जरूरत बताई और फैसलने का स्वागत किया।

यौन शोषण के पीड़ितों को जल्द मिलना चाहिए न्याय

एमडीडी ऑफ इंडिया के परियोजना निदेशक सुरेन्द्र सिंह मान व जिला संयोजक डॉ. राज सिंह सांगवान ने सयुंक्त रूप से कहा कि यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि यौन हिंसा व यौन शोषण के पीड़ित बच्चों को न्याय मिलने में अब और विलंब नहीं हो, क्योंकि वे बरसों से अपने साथ अन्याय के जिम्मेदार अपराधियों को सजा का इंतजार कर रहें हैं। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान 2030 तक बाल विवाह के खात्में के लिए देश के 400 जिलों में जमीनी स्तर पर अभियान चला रहे है, जिसमें 200 गैर सरकारी संगठनों का गठबंधन है। दिल्ली के तीस हजारी की विशेष पॉक्सो अदालत ने 13 साल की एक नाबालिग बच्ची से विवाह के मामले में शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 49 वर्षीय दोषी को दस साल के सश्रम कारावास और 15 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।

अदालत का फैसला ऐतिहासिक

एमडीडी ऑफ इंडिया के परियोजना निदेशक सुरेन्द्र सिंह मान व जिला संयोजक डॉ. राज सिंह सांगवान ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि बाल विवाह के मामले में यह ऐतिहासिक फैसला समाज में कानूनों की अवहेलना के प्रति डर का भाव सुनिश्चित करेगा। पूरे देश की अदालतों से अपील करते हैं कि वे बाल विवाह और बलात्कार के मामलों के निपटारे में तेजी लाएं और जघन्य अपराधों के दोषियों को सजा दें। उनकी उम्मीद है कि यह फैसला एक नजीर बनेगा।