Fast Track Court: अब फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी गोवंश मामलों की सुनवाई, इन 4 जिलों के लिए नोटिफिकेशन जारी

Cow slaughter cases will be heard in fast track courts
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प्रतीकात्मक तस्वीर।
Fast Track Court: हरियाणा में अब गोवंश के मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाएगी। इसके लिए सरकार की ओर अधिसूचना जारी की गई है। प्रदेश के 4 जिलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया गया है।

Fast Track Court In Haryana: हरियाणा सरकार ने गौ तस्करी और गौ हत्या से जुड़े मामलों की सुनवाई में तेजी लाई लाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब इस तरह के मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाएगी। इसको लेकर हरियाणा गृह विभाग की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा ने मंगलवार को अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना के अनुसार सरकार ने प्रदेश में कुल 4 फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित करने की मंजूरी दी है।

बता दें कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश के मुताबिक, प्रदेश के 4 जिलों में नियमित अदालत लगाने के लिए वरिष्ठतम अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, सत्र न्यायाधीश और सिविल न्यायाधीश को जिम्मेदारी सौंपी गई है। साथ ही उन्हें हरियाणा गौवंश संरक्षण और गौ संवर्धन अधिनियम 2015 के तहत फास्ट ट्रैक चलाने को कहा गया है।

इन 4 जिलों में होगा फास्ट ट्रैक का गठन

सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, प्रदेश के नूंह, अंबाला, हिसार और पलवल जिलों में फास्ट ट्रैक गठित करने की मंजूरी दी गई है। बता दें कि नूंह के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) कोर्ट में नूंह के अलावा रेवाड़ी, नारनौल, चरखी दादरी और भिवानी जिलों में दर्ज गोवंश मामलों की सुनवाई की जाएगी।

वहीं, पलवल स्थित एडीजे की अदालत में पलवल के साथ-साथ फरीदाबाद, गुरुग्राम, झज्जर, रोहतक, सोनीपत और पानीपत के मामलों का निपटारा किया जाएगा। इसके अलावा अंबाला स्थित एडीजे कोर्ट में अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, पंचकूला और करनाल में दर्ज गोवंश के मामलों की सुनवाई की जाएगी। साथ ही हिसार की अदालत में हिसार समेत जींद, कैथल, फतेहाबाद और सिरसा जिलों के मामलों की सुनवाई की जाएगी।

क्या है सजा का प्रावधान?

गौरक्षा को सुनिश्चित करने और गौ हत्या पर रोक लगाने लिए हरियाणा विधानसभा ने मार्च, 2015 एक विधेयक पास किया था। इसके तहत प्रदेश में गौ हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है। इस अधिनियम के तहत गौ हत्या के मामले में 3 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।

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