हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार पर मंथन के लिए आज दिल्ली में बैठक बुलाई गई। इस बैठक में ईवीएम में धांधली, टिकट वितरण, गुटबाजी समेत कई मुद्दों पर चर्चा की गई। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी दीपक बावरिया भी इस बैठक में शामिल हुए। बैठक के बाद दीपक बावरिया ने मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस की हार के लिए खुद को जिम्मेदार ठहरा दिया।
उन्होंने कहा कि सभी को लगता है कि मेरी वजह से कांग्रेस की हार हुई है, तो मैं इसे स्वीकार करता हूं। उन्होंने कहा कि ईवीएम को लेकर जो भी सूचनाएं पहुंची थी, मैंने आगे भेज दिया। उन्होंने गलत टिकट वितरण की संभावना भी स्वीकार की। कहा कि 10 से 15 सीटों पर गलत वितरण हो सकता है। उन्होंने कहा कि मुझे सुबह ही कुछ सीटों पर धांधली का मैसेज आया था। मुझसे भी गलतियां होती हैं, लेकिन गलती होने पर माफी भी मांग लेता हूं।
करण दलाल बोले- चुनाव आयोग से उम्मीद नहीं, कोर्ट जाएंगे
कांग्रेस के पूर्व विधायक करण दलाल हरियाणा में मिली हार की जांच कर रही कमेटी के चेयरमैन हैं। उन्होंने कहा कि हमें कई दस्तावेज मिले हैं, जिससे पता चलता है कि बीजेपी ने खुलकर वोटों की रॉबरी की। उन्होंने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की लहर चल रही थी। बीजेपी ने धांधली कर चुनाव जीत लिया। उन्होंने कहा कि ईवीएम के मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग को शिकायत दी थी, लेकिन हमारी बात नहीं सुनी गई। उन्होंने कहा कि हम अब कोर्ट जाएंगे। साथ ही, जनता की कोर्ट में जाकर भी लोगों को बीजेपी की धांधली के बारे में बताएंगे। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी सरकार 2025 तक नहीं चल पाएगी।
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दीपक बावरिया पर लग रहे ये आरोप
पहला आरोप- संगठन बचाने में नाकाम रहे
दीपक बावरिया पर आरोप लग रहा है कि वे हरियाणा में कांग्रेस संगठन को गुटबाजी से नहीं बचा सके। साथ ही, कांग्रेस संगठन को मजबूत करने में भी पूरी तरह से असफल साबित हुए। विरोधियों का कहना है कि टिकट वितरण के दौरान भी दीपक बावरिया अस्वस्थ होकर अस्पताल में भर्ती हो गए। उनकी जगह किसी और को भी जिम्मेदारी नहीं मिली। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस को चुनाव में भारी नुकसान झेलना पड़ा।
असंतोष नेताओं को मनाने में असफल रहे
दीपक बावरिया पर दूसरा आरोप है कि उन्होंने सिर्फ भूपेंद्र हुड्डा के गुट को तरजीह दी। प्रभारी होने के नाते उन्हें सभी नेताओं को विश्वास में रखना चाहिए था। खास बात है कि बागी नेताओं को मनाने के लिए भी न तो हुड्डा की तरफ से और न ही बावरिया की तरफ से कोई ठोस प्रयास किया गया। इसके चलते कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।
कम्यूनिकेशन में भी अंतर रखने का आरोप
दीपक बावरिया पर तीसरा बड़ा आरोप ये भी है कि उन्होंने पार्टी के भीतर कम्यूनिकेशन को लेकर गैप बनाए रखा। कांग्रेस की हार के लिए आज तीसरी बार समीक्षा बैठक हुई। यह पहला मौका है, जब बावरिया इस बैठक में शामिल हुए हैं। उन्होंने बताया कि वह पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं, लेकिन इस्तीफा देने की भी बात बोल रहे हैं। इससे उनकी पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।