Haryana: सांसद दीपेन्द्र हुड्डा नेकहा कि हाल में कृषि मंत्रालय की स्टेंडिंग कमेटी की एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। जिससे पता चलता है कि पिछले 5 साल में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने बजट का एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा सरेंडर कर दिया। इससे साबित हो गया कि कृषि मंत्रालय का किसान कल्याण से कोई वास्ता नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि क्या ये एक लाख करोड़ का कृषि बजट इसलिए सरेंडर किया कि कार्पोरेट घरानों के और कर्जे माफ हों। किसानों पर मुश्किलें बढ़ें? ये आंकड़ा किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने वाला और जो जख्म सरकार ने देश के किसानों को दिए हैं, उन्हें फिर से हरा करने वाला है। दीपेंद्र हुड्डा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस मुख्यालय पर आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
2014 से लेकर 2022 तक एक लाख किसानों ने की आत्महत्या
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि भाजपा सरकार के शासन काल में 2014 से लेकर 2022 तक एक लाख से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की। यानी हर रोज 30 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। इस एक लाख करोड़ रुपए से कर्ज में डूबे किसानों को राहत देकर आत्महत्या से रोका जा सकता था। किसान कायर नहीं हैं कि वो आत्महत्या जैसा कठोर निर्णय ले। यह तभी होता है जब उसके सारे रास्ते बंद हो जाते हैं। 5 साल से देश में कर्ज में डूबे हुए किसान आत्महत्या को मजबूर होते रहे लेकिन भारत सरकार का कृषि मंत्रालय लाखों करोड़ रुपया चुपचाप सरेंडर करता रहा।
यूपीए सरकार ने 72 हजार करोड़ रुपया किसानों का किया था माफ
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि यूपीए सरकार ने किसानों के लिए 72000 करोड़ रुपए की कर्ज माफी करके किसानों को राहत देने का काम किया था। लेकिन पिछले 10 वर्ष में भाजपा सरकार ने किसानों का एक पैसा कर्ज माफ तो किया नहीं बल्कि बड़े-बड़े उद्योगपति घरानों के साढ़े 14 लाख करोड़ के कर्जे माफ कर दिए। ये सरकार किसानों को लगातार जख्म दे रही है फिर उसे कुरेद-कुरेद कर देखती है कि जख्म कितना गहरा है। इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण बात और कोई नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि किसानों के हित का पैसा सरेंडर क्यों किया गया। इसके लिए कौन जिम्मेदार है। क्या कृषि मंत्रालय द्वारा सरेंडर किए गए इस एक लाख करोड़ रुपयों से भी उन्हीं पूंजीपतियों का कर्जा माफ किया जाएगा, जिनका पहले भी लाखों करोड़ का कर्जा माफ हुआ है।
कागजों में बढ़ा चढ़ाकर दिखा रहे बजट, खर्च घटाते जा रहे
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार कागजों में बढ़ा चढ़ा कर बजट दिखा रही है, लेकिन खर्च घटाती जा रही है जो किसानों के साथ छल के सिवा कुछ नहीं है। क्योंकि ये बजट खर्च ही नहीं हो रहा। जो कृषि बजट खर्च हो रहा है उसमें निरंतर गिरावट आ रही है। 2020-21 में यह खर्च कुल बजट का 4.41 प्रतिशत था, जो 2021-22 में घटकर 3.53 प्रतिशत हो गया। 2022-23 में यह 3.14 प्रतिशत तो पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में यह 2.57 प्रतिशत रह गया। 2022 तक किसान की आमदनी दोगुनी करने का वादा भी एक बहुत बड़ा छल निकला। किसान की आमदनी तो दोगुनी हुई नहीं, उस पर कर्जा दोगुना हो गया।&
देश का किसान चिंतित, फिर कर सकता है आंदोलन
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि आज एक बार फिर देश का किसान चिंतित है। किसान संगठन फिर से आंदोलन की राह पर हैं। क्योंकि, किसान आंदोलन के समय किसान संगठनों और सरकार के बीच एमएसपी गारंटी और किसानों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने आदि का जो समझौता हुआ था, उसे भी सरकार ने नहीं माना। आंदोलन में शहीद हुए 750 किसानों के परिवारों को कोई मुआवजा नहीं दिया गया। लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने वाले अपने मंत्री पर कोई कार्रवाई नहीं की। जो सरकार के अहंकार और किसान विरोधी चेहरे का प्रतीक है। सरकार कम से कम किसानों से किए अपने वायदे पूरे करे।