Hisar: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से रिटायर्ड साइंटिस्ट डॉ. एमएल छाबड़ा की पुत्री डॉक्टर नेहा छाबड़ा ने हिसार का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया। डॉ. नेहा के आविष्कार को मुंबई में एसोसिएशन आफ इंडियन यूनिवर्सिटीज नई दिल्ली और डिपार्टमेंट आफ स्टूडेंट्स डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अन्वेषण 2023-24 इंटरनेशनल स्टूडेंट रिसर्च कन्वेंशन में प्रथम पुरस्कार मिला। डॉ. नेहा ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्र का नाम रोशन किया।

मुंबई में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्य कर रही डॉ. नेहा

महाराष्ट्र के महानगर मुंबई में स्थित वीईएस कॉलेज आफ फार्मेसी में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्य कर रही डॉ. नेहा छाबड़ा हरियाणा की धरती से निकलकर महान कार्य कर रही हैं। डॉ. छाबड़ा को यह प्रथम पुरस्कार उनकी खोज एक इको फ्रेंडली स्लीपिंग बैग के लिए दिया गया है जिसके माध्यम से नवजात बच्चों में हाइपोथर्मिया का इलाज बिना बिजली के किया जा सकेगा। गरीब और पिछड़े इलाकों में बिना बिजली के भी इस स्लीपिंग बैग के माध्यम से नवजात बच्चों का इलाज किया जा सकेगा।

स्लीपिंग बैग के लिए पेटेंट भी किया फाइल

डॉ. छाबड़ा ने शुक्रवार को इस बारे में बताया कि उन्होंने अपने चार स्टूडेंट्स के माध्यम से एक रिसर्च प्रोडक्ट शुरू किया था। इसमें ऐसे गरीब नवजातों के लिए एक स्लीपिंग बैग तैयार किया जो उन्हें हाइपोथर्मिया से बचा सकता है। इस स्लीपिंग बैग के लिए उन्होंने पेटेंट भी फाइल किया हुआ है और यह स्लीपिंग बैग रियूजेबल व इको फ्रेंडली भी है। इस प्रोजेक्ट को उन्होंने आंचल नाम दिया है।

समय से पहले पैदा हुए बच्चे के लिए मददगार

डॉ. छाबड़ा ने बताया कि गरीब और पिछड़े इलाकों में जहां गरीबों को दो वक्त का खाना भी बड़ी मुश्किल से मिलता है वहां पर नवजात बच्चों में हाइपोथर्मिया होने पर उनका इलाज समय पर नहीं हो पाता। ऐसे बच्चे बिना इलाज के बच नहीं पाते। हाइपोथर्मिया ऐसे नवजात बच्चों में होता है जो समय से पहले पैदा हो जाते हैं और उनका शरीर का तापमान काफी कम होने लगता है। ऐसे में उन्हें शरीर को गर्मी की जरूरत होती है। ऐसे में उन्होंने बिना बिजली का एक ऐसा स्लीपिंग बैग तैयार किया जो हाइपोथर्मिया के केस में बच्चों के शरीर को गर्म रख सकता है और उनकी जान बचा सकता है।

बेटी ने पूरे हरियाणा को गौरवांवित किया : डॉ. एमएल छाबड़ा

सेक्टर 13 निवासी रिटायर्ड साइंटिस्ट डॉ. एमएल छाबड़ा ने बताया कि उनकी बेटी ने अपने शोध प्रोजेक्ट्स की वजह से राज्य स्तर स्वर्ण पदक, भारतीय विश्वविद्यालय संघ पश्चिम क्षेत्र का रजत पदक, भारतीय विश्वविद्यालय संघ का राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक व भारतीय विश्वविद्यालय संघ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित सभी विषयों के समूह में स्वर्ण पदक हासिल किए हैं। नेहा की कड़ी मेहनत और समर्पण ने समाज में बदलाव लाने के लिए एक नया मार्ग उजागर किया है। नेहा के इसी समर्पण, मेहनत और समाज के प्रति उनकी दया की उपलब्धि पर वह गर्व महसूस करते हैं।