Bhiwani: शिक्षा विभाग ने कम विद्यार्थियों वाले प्राइमरी स्कूलों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। अब प्रदेश में 20 से कम विद्यार्थियों वाले स्कूलों के बच्चों को पड़ोसी स्कूलों में समायोजित करने की तैयारी की जा रही है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इन स्कूलों के बच्चे किस माह में समायोजित किए जाएंगे, लेकिन शिक्षा विभाग ने इस तरह के स्कूलों का पूरा खाका व बच्चों का डाटा तैयार करना आरंभ कर दिया है। इसी क्रम में भिवानी जिले के करीब 450 बच्चों को पड़ोसी जिले के स्कूलों में समायोजित किया जाएगा।

पहली से पांचवी कक्षा तक 20 पंजीकृत छात्र वाले स्कूल होंगे समायोजित

शिक्षा विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग ने प्रदेश के उन प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को पड़ोसी स्कूल में समायोजित करने का फैसला लिया है, जिन स्कूलों में पहली से लेकर पांचवीं कक्षा तक 20 विद्यार्थी पंजीकृत है। पूरे प्रदेश में इस तरह के स्कूलों के करीब 7500 बच्चे समायोजित किए जाने की उम्मीद है। अकेले भिवानी में करीब 50 प्राईमरी स्कूलों में 20 से कम विद्यार्थी पंजीकृत है। जिनके करीब 450 विद्यार्थियों को समायोजित किया जाएगा। इसके लिए विभाग ने जिला स्तर के अधिकारियों के पास पत्र भेजकर जानकारी शेयर की है।

तीन से साढे तीन किलोमीटर तक जाना पड़ेगा पैदल

अगर शिक्षा विभाग की यह योजना सिरे चढ़ी तो जिन बच्चों को पड़ोस के स्कूल में समायोजित किया जाएगा। उन बच्चों को पैदल ही स्कूल में जाना पड़ेगा। समायोजित वाले स्कूल इन बच्चों के घर से किसी का मकान तीन तो किसी का साढ़े तीन किलोमीटर की दूरी पर है। हालांकि विभाग इन बच्चों को स्कूल में जाने के लिए वाहन का किराया आदि देने का भी भरोसा दिलाया है, लेकिन कई इलाके ऐसे है, जिनमें यातायात के साधन ही नहीं है। मसलन गांव सुमड़ा खेड़ा के प्राइमरी स्कूल के बच्चों को बवानीखेड़ा के स्कूल में समायोजित किया गया है। इस स्कूल के बच्चे किस तरह से बवानीखेड़ा स्कूल में पहुंचेंगे। चूंकि गांव सुमड़ा खेड़ा से बवानीखेड़ा के बीच कोई यातायात का साधन नहीं है। ऐसे में बच्चों को पैदल या साइकिल पर ही जाना पड़ेगा।

स्कूलों को बंद करने की बजाय बच्चों की संख्या बढ़ाने के प्रति दें ध्यान : चाहर

राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चाहर ने बताया कि सरकार को प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को समायोजित करने की बजाय विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के प्रति ध्यान देना चाहिए। साथ ही शिक्षकों से केवल शिक्षा संबंधित कार्य ही करवाए। उनकी गैर शिक्षण कार्यों में डयूटी न लगाए। चूंकि अनेक शिक्षकों की सरकार द्वारा गैर शिक्षण कार्यो में डयूटी लगा दी जाती है, जिससे वे स्कूल में समय नहीं दे पाते।