Haryana farmers on stubble burning: हरियाणा में इन दिनों नायब सैनी सरकार पराली जलाने वालों के खिलाफ एक्शन ले रही है। पराली जलाने वाले किसानों पर केस दर्ज किए जा रहे हैं। वहीं काफी किसानों की फसल खराब होने के कारण वे काफी परेशान हैं। ऐसे में अखिल भारतीय किसान सभा जिला कमेटी रोहतक के प्रतिनिधि मंडल ने जिला उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री नायब सैनी को मांग पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने फसल खराब होने का लंबित मुआवजा जारी करने और किसानों पर पराली के नाम पर दर्ज किए गए मुकदमे रद्द कर की मांग की है। इसके अलावा पराली प्रबंधन की व्यवस्था करवाने की भी मांग की है।

जल्द फसल खराब होने का मुआवजा दे सरकार

किसानों ने साल 2022 में गेहूं की फसल खराब होने का मुआवजा मांगा है। उनका कहना है कि कई गावों का गेहूं की फसल खराब होने का मुआवजा बाकी है और कई गांवों का साल 2023 में खराब हुई रबी की फसल का मुआवजा देना बाकी है। इसके अलावा रबी 2024 का बीमा क्लेम भी बकाया है। किसानों का कहना है कि पहले किसानों को कॉपरेटिव सोसायटी से खाद उधार में मिल जाती थी, लेकिन अब उसके लिए भुगतान करना पड़ रहा है। इस पर किसान सभा ने मांग की है कि पहले की व्यवस्था की तरह ही खाद दी जाए।

पराली जलाने के मामलों को करें रद्द

रोहतक किसान सभा ने पराली मामले में किसानों पर हो रहे केस पर भी एक ज्ञापन दिया है। उनका कहना है कि प्रदूषण का सारा दोष किसानों के सिर पर न डाला जाए। 9 दिसंबर 2021 को एक चिट्ठी द्वारा केंद्र सरकार ने कानून की धारा 14 और 15 के तहत पराली जलाने के मामलों को क्रिमिनल लायबिलिटी से बाहर रखने की बात को स्वीकार किया था। राज्य सरकार फिर भी पराली जलाने के मामलों के नाम पर धड़ल्ले से केस दर्ज कर रही है। सच तो ये है कि सरकार पराली को लेकर जो प्रबंध करने चाहिए थे, वो नहीं कर पाई है।

पराली को लेकर प्रबंध करे सरकार

किसानों का कहना है कि पराली निकालने के लिए किसानों को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है। सरकार उस खर्च को दे और जो साधन चाहिए, उनका प्रबंध करे। अगर हमारी मांगे नहीं मानी जाती हैं, तो हम सड़कों पर उतरेंगे।

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