Narnol: हरियाणा सरकार रबी फसल का मेरी फसल मेरा ब्यौरा में ऑनलाइन पंजीकरण किया जा रहा है, लेकिन पहली बार फसल पंजीकरण में आधार कार्ड की जगह फैमिली आईडी यानि परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) से अटैच किया जा रहा है। जिसनें किसान परिवारों को मुश्किल में डाल दिया है। फैमिली आईडी में सालाना आय अधिक पाए जाने पर किसानों को मिलने वाली सरकारी सुविधाएं कटने का डर सता रहा है। इतना ही नहीं, एक फैमिली आईडी में परिवार के अलग-अलग सदस्यों यानि किसानों के अलग-अलग मोबाइल नंबर दर्ज नहीं होने के कारण पंजीकरण करवा पाना मुश्किल हो गया है।

प्रदेश सरकार की ओर से साल में दो बार मेरी फसल मेरा ब्यौरा के तहत पंजीकरण किया जाता है। खरीफ एवं रबी बिजाई उपरांत यह पंजीकरण किया जाता है। पहले पंजीकरण में किसान का आधार कार्ड अटैच किया जाता था, लेकिन अब फैमिली आईडी पंजीकरण में दर्ज करवानी होगी। एक ही फैमिली आईडी यानि परिवार के दो या अधिक किसान होने से किसानों को परेशानी आ रही है। अनेक फैमिली आईडी में मोबाइल नंबर सदस्यों के अनुसार अलग-अलग फीड होने की बजाए एक ही नंबर दर्ज हैं। एक ही नंबर दर्ज होने के कारण ओटीपी दूसरे किसान के पास नहीं जाता है और उसका पंजीकरण नहीं हो पाता है।

देश के किसानों को राहत पहुंचाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाती हैं। इतना ही नहीं, इन योजनाओं का लाभ किसान ले सकें, इसके लिए उन्हें जागरूक भी किया जाता है। हरियाणा सरकार ने भी किसानों को राहत पहुंचाने के लिए मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल लॉच किया हुआ है। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराकर हरियाणा के किसान विभिन्न प्रकार की सरकारी योजनाओं की जानकारी हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा योजनाओं पर सब्सिडी और उसका लाभ लेने के अलावा फसल नुकसान पर मुआवजा भी हासिल कर सकते हैं। मंडियों में वही किसान सरकारी समर्थन मूल्य पर अपनी फसलें बेच सकते हैं, जिन्होंने पंजीकरण करवाया हुआ हो। योजना के तहत किसान मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर अपनी जमीन व फसल से संबंधित जानकारी भरनी होती है।

रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी दस्तावेज
मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना का लाभ लेने के लिए किसान इसके पोर्टल पर जाकर खुद अपने मोबाइल से रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके अलावा वह अपने नजदीकी अटल सेवा केंद्र या सीएससी सेंटर में जाकर अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके लिए किसानों को अपने साथ कुछ जरूरी दस्तावेज रखने होंगे, जिनमें फैमिली आईडी यानि परिवार पहचान पत्र, आधार कार्ड, पहचान पत्र, जमीन से संबंधित कागजात, मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज रंगीन फोटो, निवासी प्रमाण पत्र और बैंक डिटेल शामिल हैं। रजिस्ट्रेशन में इन सभी की जरूरत होती है।

किसानों को आ रही परेशानी
परिवार पहचान पत्र को पंजीकरण से अटैच करने पर किसानों को परेशानी हो रही है। उदाहरण के तौर पर अनेक ऐसे किसान हैं, जिन्होंने जमीन का बंटवारा नहीं किया हुआ है और फैमिली आईडी भी एक ही बनवाई हुई है और मोबाइल नंबर भी एक ही दर्ज है, लेकिन हकीकत में खेतों में फसल अलग-अलग लेते हैं। ऐसे किसान पोर्टल पर पंजीकरण करवाना चाहते हैं तो फैमिली आईडी के आधार पर मुखिया के मोबाइल नंबरों पर ओटीपी जाता है और एक पीपीपी के आधार पर फसल पंजीकरण एक ही बार हो सकता है। ऐसे में दूसरे किसान परेशान हो रहे हैं।

महेंद्रगढ़ जिले की स्थिति
मेरी फसल मेरा ब्यौरा में जिला महेंद्रगढ़ प्रदेश में तीसरे नंबर पर बना हुआ है। अब तक जिला महेंद्रगढ़ के 49401 किसान पंजीकरण करवा चुके हैं, जिन्होंने 136325 एकड़ एरिया फसली पंजीकृत करवाया है। महेंद्रगढ़ से ऊपरी पायदान पर पहले पर कुरुक्षेत्र तथा दूसरे पर करनाल बने हुए हैं। सबसे निचले पायदान पर फरीदाबाद जिला है। महेंद्रगढ़ जिले में करीब 85 हजार किसान पंजीकरण करवाते हैं।

गड़बड़ी रोकने के लिए ऐसा किया गया
पिछले साल कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से मेरी फसल मेरा ब्योरा में पंजीकरण करवा लिया था और अपने बैंक खाते अटैच करवाकर ठगी करने का प्रयास किया था। इस कारण अबकी बार परिवार पहचान पत्र अटैच किया गया है, ताकि गड़बड़ी रोकी जा सके। किसानों को किसी संशय में नहीं रहना चाहिए। यदि मोबाइल नंबर काम नहीं कर रहा है तो उसे फैमिली आईडी में अपडेट करवा लें। यह किसी भी अटल सेवा केंद्र या सीएससी सेंटर पर जाकर करवाया जा सकता है।

-डा. देवेंद्र सिंह, डीडीए, कृषि विभाग, नारनौल।