किसानों पर मौसम की मार: हरियाणा के 8 जिलों में 900 एकड़ फसल जलकर राख, मंडियों में भी भीग रहा अनाज

Haryana Farmers: हरियाणा में लगातार बदलते मौसम के चलते किसानों को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। कई जगहों पर आंधी-तूफान के चलते खेतों में बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट होने से फसल जलकर राख हो गए।;

Update: 2025-04-20 07:27 GMT
Faryana farmers
हरियाना के किसान परेशान।
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Haryana Farmers: हरियाणा के मौसम में बीते कुछ दिनों से लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है। कभी भीषण गर्मी पड़ती है, तो कभी आंधी-तूफान और बारिश का सामना करना पड़ता है। इंसान तो इसका सामना कर लेते हैं, लेकिन खेतों में लहलहा रही फसलें इसकी मार नहीं झेल पा रही है। बिछी फसलों को देखकर किसान भी रो रहे हैं। विडंबना ये है कि खेतों में आग लगने की घटनाएं भी इनके दर्द को बढ़ा रही हैं। किसानों के दर्द को देखकर सीएम नायब सैनी ने कृषि विभाग से रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। 

इन जगहों पर ज्यादा नुकसान
हरियाणा के कई जिलों में करीब 900 एकड़ की फसल जलकर राख हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक, झज्जर में 200 एकड़, कुरुक्षेत्र में 57 एकड़ की खड़ी फसल में आग लगने से किसानों को भारी नुकसान हुआ। इसके अलावा जींद, यमुनानगर, सिरसा, हिसार, फतेहाबाद और भिवानी में 100 एकड़ से ज्यादा फसल जल गई। इनमें ज्यादातर हादसे बिजली की तारों से शॉर्ट सर्किट होने के चलते हुए हैं। प्रदेश के किसान सरकार से फसलों के नुकसान के मुआवजे की मांग कर रहे हैं। बीते शनिवार को विभाग के अधिकारियों ने खेतों में जाकर फसलों के नुकसान का निरीक्षण किया। 

मंडियों में बारिश से भीगे अनाज 
वहीं, दूसरी ओर मंडियों में गेहूं के फसल की सरकारी खरीद चल रही है। हालांकि प्रदेश के कुछ जिलों में फसल की खरीद में देरी होने के चलते हजारों क्विंटल अनाज मंडियों में पड़े हुए थे, जो कि बारिश होने के चलते पूरी तरीके से भीग गए। कई जिलों में बूंदाबांदी होने की वजह से फसल भीगने से काफी नुकसान हुआ, जिसके चलते फसलों में नमी की शिकायतें मिल रही हैं।

इसके लिए मंडियों में उचित व्यवस्था न होने का कारण सामने आया है। जानकारी के मुताबिक, मंडियों में किसान अनाज लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन सरकारी खरीद करने वाली एजेंसियां ने अपनी तैयारी पूरी नहीं की है। इसके चलते कई जिलों में अनाज की खरीद धीमी गति से चल रही है। बता दें कि हरियाणा सरकार सभी जिलों में गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर कर रही है।

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