सुरेन्द्र असीजा, फतेहाबाद: पिछले दो सप्ताह से पड़ रही तेज धूप के कारण दिन के तापमान में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। शनिवार को दिन में निकली तेज धूप ने लोगों को मार्च जैसी गर्मी का अहसास करवा दिया। शनिवार को यहां का अधिकतम तापमान 26 डिग्री को भी पार कर गया जबकि न्यूनतम तापमान 7 डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से 6 डिग्री ज्यादा है। इस गर्मी ने गेहूं के लिए संकट खड़ा कर दिया है। किसानों के चेहरे पर अभी से ही चिंता की लकीरें खिंच गई है। मौसम विभाग ने 29 फरवरी तक मौसम खुश्क रहने की संभावना जताई है। इसके अलावा 26 व 27 फरवरी को पश्चिमी विक्षोभ के एक्टिव रहने के कारण तेज हवाएं चल सकती है।

तापमान बढ़ने से कृषि विशेषज्ञों की बढ़ी चिंता

फरवरी के पहले सप्ताह तक तापमान 15 डिग्री से नीचे चल रहा था। हालांकि मौसम विभाग ने पश्चिमी विक्षोभ के एक्टिव होने से बादलवाई व बरसात की संभावना व्यक्त की थी लेकिन इसके विपरीत यहां तेज धूप ने मौसम के तेवर बदल दिए। तेज धूप के चलते यहां का न्यूनतम तापमान अब 7 डिग्री पहुंच गया, वहीं अधिकतम तापमान 26 से 27 डिग्री सेल्सियस तक चल रहा है। इससे पूर्व न्यूनतम तापमान 3 से 12 डिग्री के बीच घूम रहा था। इस बार दिसम्बर और जनवरी में भी बारिश न होने से गेहूं व सरसों की फसल पर संकट के बादल मंडराते रहे। पहले धुंध व पाले ने गेहूं की फसल के लिए संजीवनी का काम किया, लेकिन अब बरसात न होने से और तेज धूप पड़ने से फिर गेहूं की फसल के उत्पादन को लेकर कृषि विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है।

तापमान बढ़ने से गेहूं के दाने सूखने का डर

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे ही तापमान बढ़ता रहा तो गेहूं के दाने का रस सूख जाएगा। इसके बाद गेहूं का दाना सिकुड़ना शुरू हो जाएगा। दाना कमजोर होने से इसका असर गेहूं उत्पादन पर पड़ेगा। जिला में इस बार दिसम्बर में बारिश न होने से गेहूं की बिजाई भी मात्र 1 लाख 85 हजार हैक्टेयर भूमि पर हुई, जबकि पिछले वर्ष जिले में गेहूं का रकबा ज्यादा था। गांव नागपुर के किसान अरूण मेहता ने बताया कि यही तेज धूप अगले महीने तक पड़ती रही तो गेहूं व चने के लिए घाटे का सौदा बन जाएगा। सरसों के लिए भी यह धूप नुकसानदेह हो रही है। अभी गेहूं का दाना नहीं बना। दाना बनता है तो वह कमजोर होगा।

13 साल में पहली बार फरवरी में इतनी गर्मी

बरसात न होने से चना व सरसों की फसल काली पड़नी शुरू हो जाती है और उसकी बढ़वार रूक जाता है, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। पीछे अच्छी धुंध ने बरसात का काम चलाया लेकिन अब तेज धूप नुकसानदायक साबित हो रही है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान अच्छी सिंचाई करें। पिछले 13 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि दिसम्बर में एक बार भी बरसात नहीं हुई जबकि जनवरी में मात्र एक बार 3 एमएम बरसात हुई।

तापमान इससे ऊपर गया तो गेहूं को होगा नुकसान

कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. राजेश सिहाग ने बताया कि अभी तापमान बार्डर लेवल पर चल रहा है। अगर थोड़ा-सा भी तापमान बढ़ता है तो उसका गेहूं के उत्पादन पर विपरीत असर पड़ेगा। 30 डिग्री के आसपास तापमान पहुंचा तो फिर किसानों के लिए चिंता का विषय हो सकता है। उधर, हिसार स्थित एचएयू मौसम विभाग के अध्यक्ष डॉ. एमएल खिचड़ के अनुसार प्रदेश में 29 फरवरी तक मौसम खुश्क रहने की संभावना है। इससे दिन के तापमान में हलकी बढ़ोतरी व रात के तापमान में गिरावट आ सकती है। इस दौरान 26-27 फरवरी को पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक असर के कारण बादलवाई व हवाएं चलेंगी।