Haryana Govt Jobs: हरियाणा के सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EPBG) के युवाओं को पेंडिंग सरकारी नौकरियों में जल्दी ही ज्वाइनिंग के लिए लेटर मिल सकता है। हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम में 46 युवाओं के ज्वाइनिंग का आदेश जारी होने के बाद अब 18 विभागों के 165 युवाओं की भी नियुक्ति की उम्मीद की जा रही है।  

कानूनी विवाद के कारण रुकी नियुक्ति

कानूनी विवाद के कारण इन युवाओं के लिए नियुक्ति का आदेश जारी नहीं हो रहा है। इनमें अधिकतर कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्होंने सरकारी विभागों में 2015 में आवेदन किया था। जिसके लिए अलग-अलग समय पर रिजल्ट घोषित होते रहे, लेकिन सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण देने के प्रावधान के विरुद्ध हाई कोर्ट में केस दर्ज होने के बाद इन युवाओं की नियुक्ति को रोक दी गई थी।

सीएम मनोहर लाल ने किया था आरक्षण का ऐलान

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने करनाल में आयोजित ब्राह्मण महाकुंभ में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण देने का ऐलान किया था और साथ ही कहा था कि इसके लागू होने में जो भी कानूनी बाधाएं होंगी, उन्हें सरकार हर संभव तरीके से दूर करेगी।

2016 में निकली थी भर्ती

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में स्ट्रांग लॉबिंग के बाद सरकार को ऐसे युवाओं को ज्वाइनिंग देने के आदेश प्राप्त हो गए हैं। हरियाणा वि्युत प्रसारण निगम ने हाल ही में 46 युवाओं के नियुक्ति आदेश जारी कर दिए हैं। इससे उम्मीद लगाई जा रही है कि बाकी बचे युवाओं की जल्द ही ज्वाइनिंग हो सकती है।

बिजली विभाग में यह ज्वाइनिंग ग्रिड सब स्टेशन ऑपरेटर (GSO) के पद पर हुई है, जिसका रिजल्ट 28 अगस्त, 2018 को आया था। साल 2016 में इन पदों के लिए भर्ती निकली गई थी।

आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों लिए जारी किया गया प्रावधान

हरियाणा के सरकार ने शिक्षण संस्थानों में दाखिले और सरकारी विभागों में नौकरियों के लिए सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को लाभ देने के लिए इस आरक्षण का प्रावधान किया था। प्रथम और द्वितीय श्रेणी की नौकरियों में 5 प्रतिशत और तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई थी।

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इन वर्गों को मिलता है आरक्षण

सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में बनिये, ब्राह्मण, राजपूत और पंजाबी को शामिल किया गया है। इस आरक्षण के विरुद्ध हाई कोर्ट में कई सालों तक केस चला। कई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिका दायर करने वालों को सलाह दी, क्योंकि ऐसे कई केस सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।