महाबीर गोदारा, सिरसा: विधानसभा क्षेत्र सिरसा में इस बार तिकोने मुकाबले के आसार बन रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा व निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे गोकुल सेतिया के बीच नजदीकी मुकाबला हुआ था, जिसमें केवल 602 वोटों के अंतर से आखिर में गोपाल कांडा बाजी मार गए। इस बार फिर गोपाल कांडा व गोकुल सेतिया का चुनाव मैदान में उतरना तय है। वहीं लोकसभा चुनाव में सिरसा विधानसभा क्षेत्र से 13 हजार 350 वोटों से लीड हासिल करने वाली कांग्रेस नेता भी उत्साहित हैं। कांग्रेस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में है। उल्लेखनीय है कि सिरसा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 31 वार्ड व 31 गांव आते हैं। ज्यादातर चुनाव वैश्य व पंजाबी समुदाय के बीच ही हुए हैं। दोनों समुदायों की हार जीत में निर्णायक भूमिका रहती है।
सुनीता सेतिया को देखना पड़ा था हार का मुंह
सिरसा हलके में पूर्व मंत्री स्व. लछमन दास अरोड़ा का दबदबा रहा और उनका एक फिक्स वोट बैंक भी रहा। अरोड़ा ने कांग्रेस में रहकर राजनीति की और उनके निधन के बाद उनकी बेटी सुनीता सेतिया राजनीति में उतरी और वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ी, लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा। बाद में उन्होंने भाजपा छोड़ दी और उनके बेटे गोकुल सेतिया ने नाना की सियासत को आगे बढ़ाते हुए पिछला विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा। गोकुल को इनेलो ने भी अपना समर्थन दिया और गोपाल कांडा के साथ कड़ी टक्कर हुई। नजदीकी मुकाबले में गोपाल कांडा मात्र 602 वोटों से चुनाव जीत कर सिरसा से दूसरी बार विधायक बने। गोकुल सेतिया एक बार फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने की ताल ठोक चुके हैं।
लोकसभा में गोकुल सेतिया ने इनेलो को दिया था समर्थन
लोकसभा चुनाव में गोकुल सेतिया ने इनेलो को समर्थन किया, लेकिन सिरसा हलके में केवल 5558 वोटों से ही इनेलो प्रत्याशी को संतोष करना पड़ा। गोकुल गाहे-बगाहे इनेलो के स्टेज पर देखे गए हैं। राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा सुनने को मिल रही है कि समर्थक गोकुल पर कांग्रेस में शामिल होने के लिए भी विचार करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। गोकुल नाना की पार्टी कांग्रेस का दामन थामते हैं तो गोपाल कांडा के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि मुकाबला फिर आमने-सामने होने की उम्मीद है। गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा इस समय एनडीए का सहयोगी दल है। गोपाल कांडा भाजपा सरकार को बिना शर्त समर्थन दे रहे हैं, वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में हलोपा की टिकट पर रानियां से चुनाव लड़ने वाले उनके छोटे भाई गोबिंद कांडा इस समय भाजपा में हैं।
ऐलनाबाद से गोबिंद कांडा ने अभय चौटाला को दी थी टक्कर
गोबिंद कांडा को भाजपा ने ऐलनाबाद उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया और उन्होंने इनेलो के अभय चौटाला को कड़ी टक्कर दी। एनडीए की सहयोगी दल होने के नाते गोपाल कांडा का चुनाव लड़ना तय है। यह अलग बात है कि वे अपनी पार्टी से चुनाव लड़ते हैं या फिर भाजपा के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरते हैं। हलोपा के सहयोगी दल होने के नाते यह सीट भाजपा कांडा के लिए छोड़ सकती है, जिसके चलते भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने की मंशा पाले पार्टी नेताओं के अरमानों पर पानी फिर सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदीप रातुसरिया को उम्मीदवार बनाया था और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। एक बार फिर प्रदीप रातुसरिया के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के ओएसडी रहे जगदीश चोपड़ा के पुत्र अमन चोपड़ा व पूर्व राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल के बेटे मनीष सिंगला भी टिकट की दौड़ में हैं।
सिरसा से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके जगदीश चोपड़ा
जगदीश चोपड़ा व प्रो. गणेशी लाल पूर्व में सिरसा हलके से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं जिसमें जगदीश चोपड़ा विधायक नहीं बन पाए, लेकिन प्रो. गणेशीलाल 1996 में पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के साथ गठबंधन में विधायक बने। उसके बाद सरकार में मंत्री बने। ये दोनों नेता अब अपने बेटों की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। सिरसा हलके में कांग्रेस टिकट के दावेदारों की एक-लंबी चौड़ी फौज है जो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व सिरसा से नवनिर्वाचित सांसद कुमारी सैलजा गुट से दावेदारी जता रहे हैं। हजकां से चुनाव लड़ने वाले वीरभान मेहता एक बार फिर कांग्रेस में शामिल होकर सैलजा गुट से टिकट की लाइन में हैं। सैलजा गुट से ही पूर्व में चुनाव लड़ने वाले नवीन केडिया एक बार फिर दावेदारी जता रहे हैं।
ये लोग भी कांग्रेस की टिकट के लिए ठोक रहे ताल
पिछला विधानसभा चुनाव लड़ने वाले स्व. होशियारी लाल शर्मा के पुत्र राजकुमार शर्मा व पौत्र मोहित शर्मा भी टिकट के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। वहीं इनेलो व जजपा छोड़कर कांग्रेस में आए अमीर चावला भी भूपेंद्र हुड्डा के सहारे टिकट के लिए दौड़-धूप कर रहे हैं। नवीन केडिया, वीरभान मेहता व स्व. होशियारीलाल शर्मा पिछले चुनावों में जमानत बचाने में कामयाब नहीं हो पाए। एक बार फिर कांग्रेस के उपरोक्त नेता ही चुनाव मैदान में उतरने के लिए अपने-अपने आकाओं की हाजिरी लगा रहे हैं। पार्टी टूटने के बाद इनेलो व जजपा मात्र अब सिरसा विधानसभा में अस्तित्व की लड़ाई लड़ती नजर आ रही है। इस समय दोनों के पास सिरसा विधानसभा क्षेत्र में कोई मजबूत चेहरा नहीं है। एक बार फिर इनेलो अपना उम्मीदवार न उतारकर गोकुल सेतिया को ही समर्थन दे सकती है।