पूंडरी/कैथल: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढुनी ने कहा कि 2022 तक किसान की आमदनी दोगुनी करने की बात करने वाली भाजपा सरकार ने किसान की लागत ओर खर्च दोगुना कर दिया। किसानों को आत्महत्या करने पर विवश कर दिया। सरकार कर्ज के बोझ तले दबे किसानों को आत्महत्या से रोकने के लिए उनका कर्ज माफ करे, ताकि किसानों को राहत मिले। गुरनाम सिंह चढुनी पूंडरी के किसान भवन में क्षेत्र के किसानों को संबोधित कर रहे थे।

ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को हुआ भारी नुकसान

भाकियू राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि प्रदेश के कई जिलों में बरसात व ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। सरकार बिना समय गंवाए तत्काल प्रभाव से विशेष गिरदावरी करवाकर पीड़ित किसानों को पूरा मुआवजा दे, ताकि कर्ज के बोझ तले दबे धरतीपुत्र किसानों को कुछ राहत मिल सके। सरकार ने खाद का रेट बढ़ा दिया और खाद के कट्टों का वजन घटा दिया। जिससे साफ जाहिर होता है कि सरकार का किसानों के हितों से कोई लेना देना नहीं है। महज किसानों के नाम पर झूठे दावों के जुमले उछाल कर झूठी वाहवाही लूटी जा रही है।

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को नहीं किया जा रहा लागू 

गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि किसानों को उनकी फसलों के लाभकारी मूल्य दिलवाने के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं की जा रही। इसके लिए देश में अब तक सत्ता में रही तमाम सरकार दोषी है। देश में 2024 के लोकसभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट एक अहम मुद्दा होगी। किसानों को एमएसपी को लेकर कभी हाईवे जाम करने पड़ रहे हैं तो कभी पुलिस की लाठियां खाते हुए जेल जाना पड़ रहा है। इस स्थिति के लिए कोई एक राजनीतिक दल या सरकार जिम्मेदार नहीं है। किसान आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार ने जो एमएसपी गठित की थी उसका भी कोई पता नहीं है कि वो आज कहां है।

सरकार कर रही उद्योगपति मित्रों की चिंता

गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार को केवल अपने उद्योगपति मित्रों की चिंता है। अब तक किसी भी सरकार ने किसानों की फसल का एमएसपी निर्धारित करने के लिए स्वामीनाथन आयोग की वह रिपोर्ट लागू नहीं की। जिसमें किसान की फसल पैदा करने की लागत में किसान का 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़ने की सिफारिश की गई हो। किसानों को कर्ज की वजह से आत्महत्या करने से रोकने के लिए उसके सभी कर्ज माफ किए जाएं। अगर केंद्र सरकार इन मांगों को पूरा नहीं करती तो आगामी चुनाव में उसे किसानों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ेगा।